अगस्त 2025 पेट्रोल-डीजल कीमतें: बड़े शहरों में स्थिरता और उपभोक्ताओं को राहत
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Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!पेट्रोल-डीजल कीमतें अगस्त 2025: प्रमुख शहरों में स्थिरता का असर और उपभोक्ताओं को राहत (आज की ताज़ा रिपोर्ट)
सुबह की शुरुआत में जब पेशेवर लोग और ऑटो ड्राइवर अपनी गाड़ियाँ निकालते हैं, सबसे पहला ख्याल ईंधन की कीमत का आता है। अगस्त 28, 2025 को देश के प्रमुख शहरों में पेट्रोल और डीजल की दरें करीब-करीब यथावत रहीं। ये स्थिरता रोज़ यात्रा करने वालों और व्यापारिक वाहनों के लिए अच्छी खबर है, खासकर जब अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमतें अकसर बदलती रहती हैं।
जब पेट्रोल और डीजल के दाम एक जैसे बने रहते हैं तो स्पष्ट योजना बनाना आसान होता है। खर्च का अंदाजा लगाने में सुविधा मिलती है, जिससे ग्राहक अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों के साथ-साथ ट्रांसपोर्ट सेक्टर भी थोड़ी राहत महसूस करता है। इस स्थिरता ने आम जीवन और कारोबार, दोनों में कुछ सुकून जरूर पहुँचाया है।
अगस्त 28, 2025 की ईंधन कीमतें – एक सारांश

Photo by Lloyd Freeman
देश के पेट्रोल और डीजल उपभोक्ताओं के लिए अगस्त 28, 2025 का दिन राहत देने वाला रहा। पूरे भारत में बड़े शहरों में ईंधन दरें अत्यंत मामूली बदलाव के साथ लगभग स्थिर रहीं। ऐसी स्थिरता रोजाना सफर करने वालों और ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए खास मायने रखती है। राजधानियों और मेट्रो शहरों में यह स्थिति उनकी मासिक बजट योजना को पहले से आसान बनाती है।
आईए, विस्तार से जानते हैं आज के प्रमुख महानगरों में पेट्रोल और डीजल की वर्तमान कीमतें:
पेट्रोल की कीमतें: दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, गुरुग्राम, नोएडा, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, हैदराबाद, जयपुर, लखनऊ, पटना, तिरुवनंतपुरम
निम्नलिखित तालिका में देश के प्रमुख शहरों में 28 अगस्त को प्रति लीटर पेट्रोल की कीमतें देखिए। जहां वृद्धि (+) या गिरावट (−) हुई, वह भी दर्शाया गया है:
| शहर | पेट्रोल कीमत (₹/लीटर) | परिवर्तन |
|---|---|---|
| दिल्ली | 94.77 | 0 |
| कोलकाता | 105.41 | 0 |
| मुंबई | 103.50 | 0 |
| चेन्नई | 100.80 | 0 |
| गुरुग्राम | 95.65 | 0 |
| नोएडा | 94.77 | 0 |
| बेंगलुरु | 99.84 | 0 |
| भुवनेश्वर | 103.15 | 0 |
| चंडीगढ़ | 94.25 | 0 |
| हैदराबाद | 107.41 | 0 |
| जयपुर | 105.40 | +0.68 |
| लखनऊ | 94.73 | +0.22 |
| पटना | 105.23 | −0.35 |
| तिरुवनंतपुरम | 109.73 | +0.20 |
इस तालिका से साफ पता चलता है कि पेट्रोल की ज्यादातर कीमतें स्थिर रहीं, जबकि मात्र कुछ ही शहरों में बेहद हल्का उतार-चढ़ाव देखने को मिला।
अधिक जानकारी और ताज़ा भावों के लिए आप Fuel Price in India Today (28 August, 2025) और Petrol Price Today (28th Aug, 2025) जैसी भरोसेमंद साइट्स देख सकते हैं।
डीज़ल की कीमतें: उपर्युक्त शहरों के लिए डीजल कीमतें
डीजल की कीमतें भी पेट्रोल की तरह लगभग स्थिर रहीं। हालांकि, जयपुर, लखनऊ, और तिरुवनंतपुरम जैसे शहरों में हल्की बढ़ोतरी और पटना में मामूली गिरावट दर्ज की गई:
| शहर | डीजल कीमत (₹/लीटर) | परिवर्तन |
|---|---|---|
| दिल्ली | 87.67 | 0 |
| कोलकाता | 92.02 | 0 |
| मुंबई | 90.03 | 0 |
| चेन्नई | 92.39 | 0 |
| गुरुग्राम | 88.10 | 0 |
| नोएडा | 87.77 | 0 |
| बेंगलुरु | 85.95 | 0 |
| भुवनेश्वर | 95.68 | 0 |
| चंडीगढ़ | 82.45 | 0 |
| हैदराबाद | 95.41 | 0 |
| जयपुर | 90.82 | +0.61 |
| लखनऊ | 87.86 | +0.26 |
| पटना | 91.49 | −0.33 |
| तिरुवनंतपुरम | 98.53 | +0.21 |
यदि आपकी गाड़ी डीजल पर चलती है, तो इन सूक्ष्म बदलावों के बावजूद ज्यादातर शहरों में जून जैसी कीमतें बनी रहीं।
सरकार द्वारा बनाए गए Indian Oil Corporation के पोर्टल पर आप अपने शहर की ताजा दरें भी देख सकते हैं।
देशभर के ईंधन बाजार में इन छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि फिलहाल खुला बाजार यानी अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें और टैक्स नीति स्थिर बनी हुई है।
इससे आम उपभोक्ताओं और ट्रांसपोर्ट कारोबारियों को अपने महीने के बजट का संतुलन बनाए रखना आसान हुआ है।
मुख्य शहरों में कीमतों का विश्लेषण
खास शहरों में पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें आज लगभग स्थिर रहीं। दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों की दरें आम लोगों और व्यापारियों के खर्च का सीधा असर बताती हैं। यहां हम देखेंगे कि इन महानगरों में कीमतें कैसी रहीं, कोई बदलाव हुआ या नहीं, और इसका स्थानीय जीवन व बाजार पर क्या असर पड़ा।
दिल्ली: दिल्ली में पेट्रोल ₹94.77 और डीजल ₹87.67। कोई बदलाव नहीं, स्थिरता के कारण यात्रियों को राहत मिली।

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज फिर पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों ने स्थिरता को बरकरार रखा।
- पेट्रोल: ₹94.77 प्रति लीटर
- डीज़ल: ₹87.67 प्रति लीटर
यह कीमतें पिछले कई हफ्तों से नहीं बदलीं, जिससे हर रोज़ ट्रैफिक में फँसने वाले और ऑफिस जाने वाले लाखों लोगों के लिए थोड़ी राहत मिली। स्थिर दामों की वजह से ऑटो रिक्शा, टैक्सी और निजी वाहन मालिकों का बजट गड़बड़ाने का डर कम हो गया है।
दिल्ली का ट्रांसपोर्ट नेटवर्क बड़ा है। चाहे डीटीसी बसें हों या मेट्रो के अलावा निजी वाहन, सबके लिए ईंधन की स्थिर कीमत खुशखबरी से कम नहीं। यहाँ देखें दिल्ली सहित सभी शहरों की ताज़ा दरें।
मुंबई: मुंबई में पेट्रोल ₹103.50 और डीजल ₹90.03। मामूली परिवर्तन नहीं, व्यापारिक शिपिंग में स्थिरता बनी।
मुंबई, जो भारत की फाइनेंशियल कैपिटल कही जाती है, यहाँ भी पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें स्थायी बनी रहीं।
- पेट्रोल: ₹103.50 प्रति लीटर
- डीज़ल: ₹90.03 प्रति लीटर
यह बदलाव है ही नहीं, जिससे न सिर्फ आम मुंबईकरों को राहत मिली, बल्कि ट्रांसपोर्ट और सामान ढुलाई करने वाले व्यापारियों तक को फिजूल की चिंता नहीं करनी पड़ी। मुंबई में बड़ी संख्या में टैक्सी और ऑटो चलती हैं, वहाँ हर छोटा बदलाव हजारों ग्राहकों का बजट बिगाड़ सकता है।
मौजूदा स्थिरता से लोकल ट्रेन के अलावा बाकी रास्तों पर यात्रा करने वाले भी अपने खर्च की सटीक योजना बना सकते हैं। यह एक तरह से मुंबई की भागती-दौड़ती ज़िंदगी को संतुलित रखता है।
कोलकाता: कोलकाता में पेट्रोल ₹105.41 और डीजल ₹92.02। कीमतें स्थिर, स्थानीय बाजार में मांग की प्रवृत्ति पर प्रकाश डालें।
कोलकाता में भी कीमतें आज बिल्कुल स्थिर रहीं:
- पेट्रोल: ₹105.41 प्रति लीटर
- डीज़ल: ₹92.02 प्रति लीटर
यह स्थिरता खास तौर पर छोटे व्यवसायियों, परिवहन मजदूरों और निजी वाहन चलाने वालों के लिए राहत का पैगाम है।
कोलकाता में ऑफिस जाने वालों से लेकर स्कूल बसों और लोकल टैक्सी तक, हर कोई उम्मीद करता है कि बजट में अचानक उछाल न आए। जब दाम लगातार बने रहते हैं, ग्राहक बाज़ार में थोड़ी स्वतंत्रता और आत्मविश्वास के साथ खरीदारी या यात्रा कर सकते हैं।
इस शहर में पेट्रोल और डीज़ल की माँग में सीजन और स्कूल खुलने जैसी गतिविधियाँ भी प्रभाव डालती हैं, लेकिन स्थिरता ने थोक व्यापार और मुख्य बाज़ार को राहत दी है।
यदि आप शहरवार ताज़ा रेट्स देखना चाहें तो यहाँ देखें पूरी रिपोर्ट।
संक्षेप में:
दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में आज पेट्रोल और डीज़ल की दरें स्थिर रहीं, जिससे दैनिक जीवन सरल और बजट व्यवस्थित बना रहा। ये स्थिर दरें छोटे-मोटे व्यवसाय से लेकर बड़े उद्योग और सामान्य उपभोक्ता तक, सभी को राहत का अहसास कराती हैं।
कीमतों में स्थिरता के कारण
पेट्रोल-डीजल की मौजूदा दरें न केवल बड़े कारोबारियों बल्कि आम उपभोक्ताओं के लिए भी राहत लेकर आई हैं। जब अधिकांश शहरों में दरें नहीं बदलतीं, तो इसकी वजह अक्सर अंतरराष्ट्रीय बाजार, मुद्रा विनिमय दर, और टैक्स नीति का तालमेल होता है। इस सेक्शन में हम देखेंगे कि कैसे ये तीन वजहें मिलकर कीमतों की स्थिरता को बनाए रखने में योगदान करती हैं।
वैश्विक तेल बाजार: अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में हल्की गिरावट या स्थिरता ने भारतीय पेट्रोल और डीजल पर कैसे असर डाला
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें पेट्रोल-डीजल की खुदरा दरों की सीधी चाबी हैं। बीते कुछ महीनों में कच्चा तेल बड़ी उछालों के बिना लगभग स्थिर रहा है। जब ग्लोबल मार्केट शांत रहता है, तो भारत जैसे बड़े आयातक देशों को राहत मिलती है।
- यदि कच्चे तेल के दाम अचानक घटते या बढ़ते नहीं हैं, तो तेल कम्पनियों को रोज़ाना कीमत बढ़ाने या घटाने की जरूरत महसूस नहीं होती।
- यह स्थिरता उपभोक्ताओं के लिए सीधा सुकून है, क्योंकि ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक्स, और बाजार के बजट अनुमान में उम्मीद के मुताबिक राहत मिलती है।
जैसे अभी देखा गया कि अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ, वैसे ही घरेलू रेट्स में भी तेज़ी या गिरावट का ट्रेंड नहीं दिखा। Petrol and Diesel Prices रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक फ्लक्चुएशन कम होने से भारतीय दरों पर भी दबाव घटा है।
रुपये‑डॉलर दर: रुपये की मजबूती या कमजोरी ने आयातित कच्चे तेल की लागत को कैसे प्रभावित किया
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में दूसरे सबसे अहम फैक्टर का नाम है ‘रुपया’। भारत कच्चा तेल डॉलर में खरीदता है, यानी रुपया जितना मजबूत रहेगा, देश को उतना कम भुगतान करना होगा।
- अगर रुपया घटता है (कमज़ोर होता है), तो भले ही अंतरराष्ट्रीय भाव स्थिर हों, भारत को अधिक रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
- बीते हफ्तों में रुपये की स्थिति लगभग संतुलित रही, जिससे आयातित तेल की लागत में कोई बड़ा झटका नहीं आया।
- मजबूत या स्थिर रुपया पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतों को स्थिर रखने में मददगार बनता है।
इस प्रकार, डॉलर-रुपया विनिमय दर में संतुलन का फायदा भी उपभोक्ताओं तक पहुँचता है, क्योंकि यह सरकार और तेल कंपनियों को दरें स्थिर रखने की ताकत देता है।
स्थानीय कर और वैट: राज्य‑स्तर के वैट, सेंट, और केंद्रीय एक्साइज ड्यूटी के योगदान
तीसरा बड़ा और रोज़मर्रा के लोगों की जेब पर असर डालने वाला फैक्टर है टैक्स स्ट्रक्चर। भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम कच्चे तेल की कीमत और रुपया दोनों से जुड़े हैं, लेकिन एक बड़ा हिस्सा टैक्स का होता है।
- केंद्र सरकार पेट्रोल पर ₹13/लीटर और डीजल पर ₹10/लीटर एक्साइज ड्यूटी लेती है
(नई दरें अप्रैल 2025 से लागू हैं, स्रोत: Central And State Tax On Petrol and Diesel In India) - राज्य सरकारें अपने-अपने वैट और अधिभार लगाती हैं, जिससे हर राज्य में कीमत अलग होती है।
- उदाहरण के लिए, दिल्ली में पेट्रोल पर 19.40% वैट और ₹250/KL एयर एंबियंस चार्ज, डीजल पर 16.75% वैट वसूलते हैं।
महाराष्ट्र के मुंबई, ठाणे और नवी मुंबई क्षेत्रों में पेट्रोल पर 25% वैट + ₹5.12 प्रति लीटर अतिरिक्त टैक्स और डीजल पर 21% वैट अतिरिक्त टैक्स के साथ लिया जाता है। - अन्य राज्यों में भी रोड डेवलपमेंट सैस, इन्फ्रास्ट्रक्चर फीस, और अर्बन ट्रांसपोर्ट फंड जैसे चार्ज जुड़ जाते हैं।
यदि आप राज्यवार टैक्स दरों की डिटेल देखना चाहते हैं, तो देख सकते हैं VAT/Sales Tax/GST Rates की आधिकारिक तालिका।
तालिका: दिल्ली और महाराष्ट्र में पेट्रोल के टैक्स का अनुपात
| शहर/राज्य | केंद्रीय एक्साइज (₹/लीटर) | राज्य वैट | अन्य टैक्स |
|---|---|---|---|
| दिल्ली | 13.00 | 19.40% + एयर चार्ज | 250/KL एयर एंबियंस चार्ज |
| महाराष्ट्र | 13.00 | 25% + ₹5.12/लीटर (मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई) | रोड सेस, अन्य अतिरिक्त टैक्स |
इन सभी टैक्स और वैट की वजह से जब तक केंद्र या राज्य सरकारें कोई बड़ा निर्णय न लें, कीमतों में स्थिरता रहने की संभावना बनी रहती है।
सरकारी कदम, टैक्स स्ट्रक्चर का संयोजन और अंतरराष्ट्रीय बाजार का संतुलन, तीनों मिलकर उपभोक्ताओं के लिए पेट्रोल-डीजल की कीमतों में स्थिरता बनाए रखते हैं।
उपभोक्ताओं और परिवहन पर असर
पेट्रोल-डीजल कीमतों की स्थिरता ने भारतीय उपभोक्ताओं और परिवहन जगत को रोज़मर्रा के स्तर पर राहत दी है। जब ईंधन के दाम लंबे समय तक एक ही रेंज में रहते हैं, तो आम व्यक्ति से लेकर ट्रांसपोर्ट कंपनी तक हर कोई योजना बनाना आसान महसूस करता है। इसी स्थिरता ने शहर और गांव, दोनों में आर्थिक सोच और सफर के ढंग को बदल दिया है।
यहाँ जानिए, दैनिक सफर और परिवहन कारोबार पर इस स्थिरता का खास असर क्या पड़ा है:
दैनिक यात्रा पर प्रभाव: सामान्य नागरिकों को ईंधन बिल में स्थिरता से मिलने वाला लाभ और मनोवैज्ञानिक राहत

Photo by Ekaterina Belinskaya
भारत में करोड़ों लोग हर सुबह निजी वाहन, बाइक, स्कूटी, या ऑटो से अपने काम पर निकलते हैं। पेट्रोल-डीजल की कीमतों के स्थिर रहने से
- रोज़ का बजट बनाना आसान हुआ
- महीने के अंत तक खर्च का बोझ कम महसूस होता है
- अचानक महंगाई का डर घटा, जिससे मन को राहत मिली
ईंधन बिल में आए बदलाव अक्सर लोगों के दिमाग़ में चिंता की वजह बनते हैं। लेकिन अगस्त 2025 में जिस तरह कीमतें रोज़-रोज़ नहीं बदल रहीं, इससे आम मध्यमवर्गीय परिवारों की जेब पर सीधा असर पड़ा है। अब लोगों को हर दिन पेट्रोल पंप पर टेंशन नहीं होती कि “आज पता नहीं कितना बढ़ गया?”
वे लोग, जिनकी बहुत सी कमाई कम दूरी के सफर या ऑफिस आने-जाने में खर्च हो जाती है, उन्हें ईंधन की स्थिर कीमतों से छोटी लेकिन बड़ी राहत मिलती है। इसी तरह छात्र, बाइक से कॉलेज जाने वाले युवा, और परिवार के लिए सामान लाने वाले लोग अब महीने की शुरुआत में ही अंदाजा लगा सकते हैं कि फ्यूल खर्च कितना होगा।
पिछले कुछ हफ्तों में पेट्रोल-डीजल की दरें लगभग एक जैसी रही हैं, जिससे अधिकतर उपभोक्ता संतुष्ट दिखे। छोटी-छोटी बचत से महीने भर की प्लानिंग सटीक बैठती है, और लोग थोड़ा बेफिक्र होकर जरूरी खर्च कर सकते हैं।
व्यावसायिक परिवहन: ट्रकों, बसों और टैकसी सेवाओं पर लागत स्थिरता के व्यावहारिक प्रभाव, लॉजिस्टिक कंपनियों को कीमत‑प्रबंधन में सुविधा
भारत का बिज़नेस ट्रांसपोर्ट सिस्टम, जिसमें ट्रक, बस, टैक्सी, और कूरियर सेवाएँ आती हैं, ईंधन दरों की सीधा असर झेलता है।
जब फ्यूल के रेट स्थिर रहते हैं, तो:
- ट्रांसपोर्टर्स लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट और माल ढुलाई की दरें आसानी से तय कर पाते हैं
- टैक्सी और बस सर्विस प्रोवाइडर किराया बढ़ाने या कम करने का दबाव कम महसूस करते हैं
- लॉजिस्टिक कंपनियाँ अपने ग्राहकों को स्थिर चार्ज में सेवा दे सकती हैं
नतीजतन पूरे ट्रांसपोर्ट नेटवर्क का बजट और किराया स्थिर रहता है। ट्रक ऑपरेटरों और बस एजेंसियों को सबसे ज्यादा राहत इस कारण मिलती है कि उन्हें हर दिन किराया बदलने की जरूरत नहीं पड़ती और बुकिंग में भरोसा बनता है।
यह स्थिरता लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री के लिए भी किसी संबल से कम नहीं। कंपनियाँ अपने क्लाइंट्स के साथ साल, छह महीने के कॉन्ट्रैक्ट कर सकती हैं, जिससे मालवाहन की दरें फिक्स रहती हैं। यह सुविधा आयात-निर्यात कारोबार, कृषि उत्पादों की आपूर्ति, और FMCG कंपनियों तक को मिलती है।
कुछ अहम फायदे इस प्रकार हैं:
- माल और किराये की लागत में स्थिरता
- गैर-जरूरी लागत में बचत
- ग्राहकों को भरोसा
- सामान समय पर पहुँचना, बिना एक्स्ट्रा पेमेंट की चिंता के
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, जब फ्यूल खर्च में पूर्वानुमान होता है, तब डिलीवरी नेटवर्क लंबी और टिकाऊ योजना बना सकते हैं।
इस तरह ट्रांसपोर्ट सेक्टर की पूरी लय में स्थिरता और पेशेवर भरोसा देखा जा सकता है, जो देश की आर्थिक गाड़ी की गति को बनाए रखता है।
निष्कर्ष
इस सप्ताह पेट्रोल और डीजल की कीमतों ने यात्रियों और व्यापारियों, दोनों को ठंडी राहत दी। अधिकतर शहरों में दाम लगभग जमे रहे, जिससे हर रोज़ सफर करने वाले और आर्थिक रूप से संवेदनशील ट्रांसपोर्ट सेक्टर ने चैन की सांस ली। जब दरें बदलें बिना रहती हैं, तो घर-परिवार के बजट से लेकर व्यवसाय के मासिक खर्च तक, सब कुछ पहले से तय और संतुलित लगता है।
यह स्पष्ट योजना की आज़ादी वही सुकून देती है जैसी बारिश के बाद खुली धूप। स्थिरता ने एक विश्वास पैदा किया कि अचानक झटका नहीं मिलेगा, खास कर ऐसे दौर में जब अंतरराष्ट्रीय घटनाएँ पल भर में असर डाल सकती हैं।
हालांकि, वैश्विक तेल बाजार, रुपये की चाल और टैक्स नीति किसी भी वक्त बदलाव ला सकते हैं। बदलाव की यह आशंका बजट बनाने वालों के लिए एक छोटी सी याद भी है—ऊर्जा की दुनिया कभी पूरी तरह स्थायी नहीं रहती।
आपकी राय क्या है इस स्थिरता पर? हमसे साझा करें, और आगे की ताज़ा अपडेट्स के लिए जुड़े रहें। पढ़ने के लिए धन्यवाद।
