कीव पर रूस का ताज़ा मिसाइल हमला: EU-ब्रिटिश कार्यालय क्षतिग्रस्त, 2025 की बड़ी खबर
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Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!रूस ने कीव पर बड़ा मिसाइल और ड्रोन हमला (EU, ब्रिटिश दफ्तर क्षतिग्रस्त, 2025)
28 अगस्त 2025 को कीव पर रूसी मिसाइल और ड्रोन हमला पिछले कई महीनों में सबसे बड़ा था। लगभग 600 ड्रोन और 30 से ज़्यादा मिसाइलों ने शहर को हिला दिया, जिसमें 23 लोगों की जान गई और कई लोग घायल हुए। मरने वालों में चार बच्चे भी शामिल हैं और एक बहुमंज़िला रिहायशी इमारत पूरी तरह तबाह हो गई।
हमले का दायरा उतना ही खतरनाक रहा, जितना उसके असर का पैमाना। EU का दफ्तर और British Council की इमारतों को मिसाइल हमले में गंभीर नुकसान पहुँचा। ये हमले शहर के केंद्र के बिलकुल नज़दीक हुए, जिससे दुनियाभर में चिंता गहराई। यूरोपीय नेताओं और ब्रिटेन ने इस बर्बरता की खुलकर निंदा की है।
यह लेख इस हमले की पूरी तस्वीर पेश करता है—घटनाओं का सारांश, मुख्य हताहत, सबसे ज़्यादा प्रभावित इमारतें और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ। जानिए कीव के लोगों पर इसका क्या असर पड़ा, वैश्विक स्तर पर ये क्यों चर्चा में है, और रूस-यूक्रेन संघर्ष किस मोड़ पर पहुँच गया है।
पूरा घटनाक्रम, ज़मीनी हालात और आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिए।
रूसी मिसाइल और ड्रोन हमले की वीडियो रिपोर्ट देखें
रूसी हमले का सारांश और मानवीय प्रभाव
28 अगस्त 2025 की सुबह कीव में जिस भयानकता के साथ मिसाइलें और ड्रोन बरसे, उसने ना सिर्फ शहर की रफ्तार थामी, बल्कि आम लोगों की जि़ंदगी को गहरे सदमे में डाल दिया। हमले का दायरा सिर्फ इमारतों और संस्थानों तक नहीं था, बल्कि हर परिवार, हर गली, हर इंसान उसके असर को महसूस कर रहा है। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं… सभी किसी न किसी तरह इस त्रासदी से दो-चार हुए हैं। रूसी हमले का मानवीय पहलू और शहर के प्रमुख हिस्सों में हुए नुकसान का विवरण हम यहां दे रहे हैं।
हताहत और घायलों की संख्या: कीव में कम से कम 23 मौतें और 63 घायल की जानकारी, साथ ही अन्य शहरों में रिपोर्ट किए गए आँकड़े जोड़ें
कीव और आसपास के इलाकों में यह हमला नागरिकों के लिए काला दिन साबित हुआ। अधिकारियों के मुताबिक,
- सिर्फ कीव में कम से कम 23 लोगों की मौत हुई है, जिनमें चार छोटे बच्चे भी शामिल हैं।
- 63 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इनमें कई गंभीर रूप से जख्मी हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
- मरने वालों की पहचान अभी तक चल रही है, मगर सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर विचलित कर देने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं।
अन्य शहरों से भी घायलों और हताहतों की खबरें आ रही हैं:
- रूस ने मिसाइलों और ड्रोनों के ज़रिए सिर्फ कीव पर ही हमला नहीं किया, बल्कि विन्नित्सिया, चर्कासी और पोल्टावा जैसे इलाकों की बिजली आपूर्ति को भी टारगेट किया।
- लगभग 60,000 घरों की बिजली गुल हो गई, जिससे नागरिक जीवन और रिस्क में चला गया।
इन हमलों में सबसे दु:खद बात यह रही कि एक आवासीय टावर को सीधी टक्कर मिली, पूरी बिल्डिंग भरभराकर गिर गई। इसकी मलबे के नीचे कई घंटों तक लोग फंसे रहे। बचाव टीमों ने लगातार काम करके कई लोगों को मलबे से बाहर निकाला, लेकिन कई परिवारों की खुशियों का अंत हो गया।
ज़्यादा जानकारी और ताजा अपडेट्स के लिए Reuters की रिपोर्ट पढ़ें।
कीव के प्रमुख स्थानों पर क्षति: EU मिशन, ब्रिटिश काउंसिल, टर्की कंपनी, अज़रबैजान दूतावास आदि की क्षति और कोई मृत्यू न होने की सूचना शामिल करें
रूसी हमले का असर केवल रिहायशी इलाकों तक सीमित नहीं रहा। इस बार निशाने पर कई कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय संस्थान भी रहे:
- EU मिशन की इमारत को मिसाइल की चपेट में गंभीर नुकसान पहुंचा। दीवारें, कांच और छत बुरी तरह टूट गए।
- ब्रिटिश काउंसिल के कार्यालय को भी खासा नुकसान पहुंचा, जिससे यूक्रेन में ब्रिटिश सांस्कृतिक गतिविधियों को भारी धक्का लगा।
- टर्की कंपनी (Bayraktar ड्रोन फैक्ट्री) पर भी हमला हुआ, जिसे तेज धमाके और छत पर दरारें आईं। हालांकि, इस समय वहां ज्यादा स्टाफ मौजूद नहीं था।
- अज़रबैजान दूतावास के भवन की खिड़कियां टूट गईं और छत को भी क्षति हुई, लेकिन किसी कर्मचारी को चोट नहीं आई।
सकारात्मक बात यह रही कि,
- इन सभी अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में कोई मौत या गंभीर चोट नहीं हुई।
- कर्मचारी समय पर शेल्टर में पहुंच सके और स्थानीय प्रशासन ने तत्परता से मदद की।
इन कूटनीतिक जगहों पर हुए नुकसान ने दुनिया भर के राजनयिकों और नेताओं की चिंता को बढ़ा दिया है। इसे आप Reuters, Arab News या Azerbaijani Embassy रिपोर्ट पर भी पढ़ सकते हैं।
इन केन्द्रों की इमारतें भले ही खामोश खड़ी हैं, मगर उनके टूटे-फूटे कांच और दीवारों के पीछे यूक्रेनियन समाज का जज़्बा जस का तस दिखा—वे डरे नहीं हैं, बल्कि एकजुट होकर खड़े हुए हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और कूटनीतिक कदम
कीव पर रूसी मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद वैश्विक राजनीति में हलचल तेज़ हो गई है। हर बड़ा देश अपने अंदाज़ में प्रतिक्रिया दे रहा है। सवाल उठ रहे हैं—आगे क्या होगा, ये हमले अंतरराष्ट्रीय रिश्तों पर कैसा असर डालेंगे? आइए जानते हैं किसने क्या कहा, और कौन-से नये कूटनीतिक कदम उठाए गए हैं।
अमेरिका की प्रतिक्रिया और ट्रम्प का रवैया: व्हाइट हाउस के बयान, ट्रम्प की असंतोष और भविष्य के बयान की संभावना
अमेरिका ने रूस के इस मिसाइल हमले पर तुरंत ध्यान केंद्रित किया। व्हाइट हाउस की ओर से साफ़ शब्दों में कहा गया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प रूस की इस हरकत से बिल्कुल खुश नहीं हैं। आधिकारिक बयान में बताया गया, “राष्ट्रपति ट्रम्प को जैसे ही रूस के हमले की सूचना मिली, वे असंतुष्ट दिखे और उन्होंने इस विषय पर आगे बयान देने की बात कही।” ट्रम्प का यह रुख, अमेरिका के परंपरागत “यूक्रेन के साथ” समर्थन के अनुरूप है, लेकिन इस बार व्यक्तिगत नाराज़गी खुलकर देखने को मिली।
- व्हाइट हाउस प्रवक्ता के अनुसार, “ट्रम्प इस मुद्दे पर जल्द ही सार्वजनिक रूप से अपना पक्ष रखेंगे, जिसमें नये कदमों की संभावना भी हो सकती है।”
- अमेरिकी प्रशासन लगातार हालात पर नजर बनाए है, और रणनीतिक साझेदारों से बातचीत तेज़ हो गई है।
- यह प्रतिक्रिया दिखाती है कि रूस से नाराज़गी सिर्फ जुबानी नहीं, बल्कि आगे की अमेरिकी नीति में भी दिख सकती है।
अधिकृत विवरण के लिए देखें Reuters की रिपोर्ट।
EU और ब्रिटेन की प्रतिक्रियाएँ: EU और ब्रिटेन ने रूसी राजनयिकों को बुलाया, कोई हताहत नहीं, लेकिन कार्यालयों को नुकसान
यूरोपीय संघ (EU) और ब्रिटेन ने कीव स्थित अपने मिशन कार्यालयों पर हुए हमले के बाद रूस के खिलाफ सख्त रुख अपनाया। यूरोपीय देशों ने एकजुट होकर घटना की निंदा की और मॉस्को में तैनात रूसी राजनयिकों को तलब किया।
मुख्य तथ्य:
- EU और ब्रिटिश अधिकारियों ने औपचारिक कूटनीतिक नोट भेजकर रूस से जवाब मांगा है।
- दोनों सरकारों ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि “कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन संस्थानों को भारी क्षति पहुंची है।”
- ब्रिटिश Foreign Office और EU Commission ने साफ कहा, “हम यूक्रेन के समर्थन में खड़े हैं। ऐसे कृत्य अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों की सीधी अनदेखी हैं।”
यह प्रतिक्रियाएं दिखाती हैं कि यूरोपियन देश अब सिर्फ मौखिक निंदा तक सीमित नहीं, बल्कि ठोस कूटनीतिक कदम उठा रहे हैं। पढ़ें DW का पूरा अपडेट।
जेलेंस्की का बयान और नए प्रतिबंधों की मांग: जेलेंस्की ने इस हमले को वार्ता का जवाब माना, नए प्रतिबंधों की मांग और सुरक्षा गारंटियों की चर्चा
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इन हमलों के जवाब में मजबूत बयान दिया। उन्होंने कहा, “रूस ने शांति वार्ता का जवाब बमों और मिसाइलों से दिया है।” जेलेंस्की ने सीधे तौर पर पश्चिमी देशों से अपील की:
- नए प्रतिबंधों की तुरंत शुरुआत की जाए जो रूस की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर डालें।
- जेलेंस्की ने EU, अमेरिका और ब्रिटेन से और कड़ी सुरक्षा गारंटियों की मांग की, ताकि नागरिकों की सुरक्षा में मजबूती लाई जा सके।
- उन्होंने साफ कहा, “अब सिर्फ बयानबाज़ी का समय नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई चाहिए।”
राष्ट्रपति की इस अपील के बाद, पश्चिमी देशों में रूस के खिलाफ आगे के कड़े आर्थिक कदमों पर चर्चा तेज़ हो चुकी है। जेलेंस्की का पूरा बयान और युद्ध पर उनकी सोच आप Reuters की रिपोर्ट से विस्तार में पढ़ सकते हैं।
इन प्रतिक्रियाओं से साफ है कि कूटनीतिक घटनाक्रम अब तेज मोड़ पर हैं और आने वाले दिनों में दुनिया रूस और यूक्रेन को लेकर नई घोषणाओं और फैसलों का गवाह बनने वाली है।
सैन्य रणनीति और लक्ष्य
रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष में सैन्य रणनीति, लक्ष्य और जवाबी कार्रवाइयों का महत्व हर नए हमले के साथ सामने आता है। कीव में हुए हालिया मिसाइल और ड्रोन हमले ने यह साफ कर दिया कि दोनों देश अब और तीखी रणनीति अपनाने लगे हैं। रूस के घोषित सैन्य उद्देश्यों और नागरिक इलाकों पर किए हमलों से लेकर यूक्रेनी हवा-रक्षा की क्षमता और रूस के अंदर गहरे जवाबी हमलों तक, हर घटना पिछली से ज्यादा असरदार दिख रही है।
रूसी लक्ष्य: नागरिक क्षेत्र बनाम सैन्य सुविधा
रूसी हमलों को लेकर मास्को का आधिकारिक तर्क यह रहा कि उनके निशाने पर सेना का बुनियादी ढांचा और सैन्य-औद्योगिक प्लांट्स हैं। मगर हकीकत यह है कि मिसाइलें और ड्रोन बार-बार रिहायशी इलाकों, स्कूलों, अस्पतालों, और कूटनीतिक कार्यालयों पर भी गिरती दिखी हैं।
- रूस के दावे के विपरीत, कीव, विन्नित्सिया, और चर्कासी जैसे शहरों के नागरिक क्षेत्रों में भारी तबाही हुई। बेकसूर लोग, बच्चे और बुजुर्ग हादसे में मारे गए या घायल हुए।
- इस हमले में EU और ब्रिटिश काउंसिल के दफ्तर भी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुए, जहाँ कोई सैनिक तैनाती नहीं थी।
- रिहायशी टावर को सीधे टारगेट किया गया, जिससे पूरा ब्लॉक मलबे में बदल गया।
रूसी पक्ष लगातार यह प्रचार करता है कि वे अपने अभियान में सिर्फ सैन्य बुनियादी ढांचे को ही निशाना बना रहे हैं, लेकिन घटनाओं की सच्चाई इससे उलट है। ताजा अपडेट्स के लिए आप Reuters की रिपोर्ट देख सकते हैं, जिसमें नागरिक क्षेत्रों को पहुंचे नुकसान का पूरा ब्यौरा सामने आया है।
यूक्रेन की हवाई रक्षा और प्रभावी इंटरसेप्शन
इधर यूक्रेन की हवाई रक्षा प्रणाली हर दिन ज्यादा मजबूत होती जा रही है। ताजा हमले में यूक्रेनी सैनिकों ने बताया कि:
- दागे गए 600 ड्रोन में से 563 को हवा में ही नष्ट कर दिया गया।
- 31 मिसाइलों में से 26 का इंटरसेप्शन सफल रहा।
इस कामयाबी ने साबित कर दिया कि यूक्रेनी एयर डिफेंस न सिर्फ तेज है, बल्कि हर हमले का उग्र जवाब देने में सक्षम है। नीचे दिए गए आंकड़ों से यह साफ है कि हालात कितने चुनौतीपूर्ण रहे और यूक्रेनी सेना ने कैसे कमाल कर दिखाया:
| लक्ष्य | कुल हमला | नष्ट किए गए |
|---|---|---|
| ड्रोन | 600 | 563 |
| मिसाइल | 31 | 26 |
इन नतीजों ने कीव और दूसरे शहरों में जान-माल की बड़े पैमाने पर रक्षा की। यूक्रेनी सेना का ये उत्साह पूरे देश को समर्पित होकर रक्षा के लिए तैयार रहने का संदेश देता है। एयर डिफेंस की तकनीक और उसकी टीमों ने एक बार फिर दिखा दिया कि वे सबसे मुश्किल घड़ी में भी मजबूत दीवार बन सकते हैं।
यूक्रेन के प्रतिद्वंद्वी ड्रोन्स और तेल शोधन कारखानों पर प्रतिक्रिया
युद्ध का जवाब सिर्फ रक्षा नहीं, बल्कि असरदार पलटवार भी है। यूक्रेन ने रूसी हमलों के बाद अपने तेज़ और सटीक ड्रोन हमलों से रूस के भीतर गहरे असर डालना शुरू कर दिया है।
- यूक्रेनी ड्रोनों ने हाल के दिनों में रूस के कई तेल शोधन कारखानों और ईंधन डिपो पर हमले किए जिससे रूस की ऊर्जा आपूर्ति में बड़ा झटका लगा।
- इन हमलों का रणनीतिक महत्व है—तेल शोधन संयंत्रों को नुकसान पहुँचाकर यूक्रेन ने न सिर्फ रूसी सैन्य लॉजिस्टिक्स को धीमा किया, बल्कि रूस की आर्थिक रीढ़ पर भी वार किया।
इन ड्रोन हमलों की वजह से रूस की फ्यूल सप्लाई में कमी, विमानों के संचालन में दिक्कत और सेना के आउटलुक में बदलाव साफ दिख रहा है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि यही रणनीति पिछले कुछ महीनों में युद्ध का स्वरूप बदल रही है। यूक्रेनी प्रतिरोध अब सिर्फ अपने देश की सीमाओं तक सीमित नहीं, बल्कि रूस के अंदर भी डर पैदा करने लगा है।
इस पूरी लड़ाई ने यह साभित किया है कि अब युद्ध सिर्फ मैदान पर ही नहीं, बल्कि रणनीतिक संसाधनों और बुनियादी ढांचे पर भी लड़ा जा रहा है। अधिक जानकारी और ब्यौरे के लिए चेक करें Reuters की ख़बर।
रूस-यूक्रेन संघर्ष में दोनों तरफ की सैन्य सोच अब खुलकर सामने है—घोषित लक्ष्य, गुप्त वार और पलटवार, सब मिलकर एक नई जंग की पटकथा लिख रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और भविष्य की शांति प्रक्रिया
रूस का कीव पर मिसाइल और ड्रोन हमला सिर्फ एक सैन्य घटना नहीं थी, बल्कि यह मौजूदा अंतरराष्ट्रीय राजनीति और शांति प्रयासों के केंद्र में भी आ गया है। पहले से ही दुनिया भर के नेता रूस-यूक्रेन विवाद में नई पहल और कूटनीतिक समाधान की तलाश कर रहे थे। इस हमले के बाद वे सब फिर से एक असमंजस में हैं। आइए, देखें कि किस तरह ये हमले हाल की प्रमुख शिखर वार्ताओं, संयुक्त राष्ट्र की भूमिका और भविष्य की संभावित शांति वार्ताओं को प्रभावित कर सकते हैं।
अलास्का शिखर सम्मेलन के बाद का संदर्भ: ट्रम्प‑पुतिन अलास्का बैठक के दो हफ्ते बाद हमला हुआ, शांति प्रयासों पर इसका असर
अभी दो हफ्ते भी नहीं बीते थे जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात अलास्का में हुई थी। पूरी दुनिया को उम्मीद थी कि इस शिखर वार्ता के बाद युद्ध में कुछ नर्मी आएगी। लेकिन जैसे ही हमले की खबर आई, उन उम्मीदों पर पानी फिर गया।
- अलास्का बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने युद्ध विराम या शांति राजमार्ग पर कोई ठोस फैसला नहीं लिया।
- वार्ता के बाद तुरंत ही यूक्रेन पर हमला हुआ, जिससे साफ संकेत मिलता है कि पुतिन का नजरिया नहीं बदला, और शायद शांति की मंशा भी नहीं थी।
- विशेषज्ञों के मुताबिक, “शिखर बैठक के बावजूद रूस के हमले से यह साबित हुआ कि शांति प्रक्रिया अभी भी घनी धुंध में गुम है।”
इस सबके पीछे एक संवाद छुपा है—क्या शांति बैठकें सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई हैं? पढ़ें अलास्का शिखर वार्ता के बिना नतीजे की विस्तृत रिपोर्ट।
संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों की भूमिका: UN और अन्य प्रमुख देशों की प्रतिक्रियाओं तथा संभावित मध्यस्थता प्रयासों को संक्षिप्त करें
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कीव पर हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र ने तुरंत आपात बैठक बुलाई। यूएन महासचिव ने युद्ध की घोर निंदा करते हुए दो टूक कहा, “शहरी इलाकों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों पर हमले अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सीधा उल्लंघन हैं।”
वहीं, अन्य प्रमुख देशों की प्रतिक्रियाएं भी तीखी रहीं:
- अमेरिका ने यूक्रेन को खुला समर्थन देने का वादा दोहराया और रूस पर नए प्रतिबंधों की संभावना जताई।
- जर्मनी और फ्रांस जैसे यूरोपीय देश तेज़ आवाज़ में रूस की आलोचना करते दिखे।
- तुर्की, चीन और भारत जैसे देश शांति वार्ता की अपील करते रहे, पर सीधी निंदा से बचते दिखे।
इन सबके बीच, यूनाइटेड नेशंस ने एक बार फिर मध्यस्थता की पेशकश रखी, लेकिन युद्ध की नई लहर के बाद वैश्विक मंच भी थोड़े मायूस हैं। पूरी कवरेज पढ़ें यूएन बैठक और प्रतिक्रियाओं की आधिकारिक रिपोर्ट।
भविष्य के संभावित शांति वार्ताओं पर प्रभाव: इस हमले से वार्ता की गतिशीलता, रूसी रणनीति और अंतरराष्ट्रीय दबाव का विश्लेषण
कीव पर बमबारी ने न केवल शांति वार्ता की संभावनाओं को झटका दिया, बल्कि पूरी प्रक्रिया पर एक बड़ा सवाल भी खड़ा कर दिया है।
- रूस के ताजा रवैये से साफ हो गया है कि वह युद्ध क्षेत्र में दबाव बनाकर ही बातचीत की टेबल तक आना चाहता है।
- यूक्रेन का भरोसा डगमगाया है, क्योंकि हमले के बाद शांति वार्ता सिर्फ एक “नाटकीय इवेंट” बन गई है।
- अंतरराष्ट्रीय दबाव जरूर बढ़ा है; यूरोप, अमेरिका और नई शक्तियां अब शांति की पहल में और मजबूती से उतरने की तैयारी कर रही हैं।
हालात ऐसे बन गए हैं कि भविष्य में कोई भी शांति वार्ता अब ज्यादा पारदर्शी, कड़ी शर्तों के साथ और अंतरराष्ट्रीय निगरानी में ही संभव दिखती है। रूस कब और किस दबाव में आकर झुकेगा, यह अब तक तय नहीं है। इस गर्माती कूटनीति के बारे में अधिक पढ़ सकते हैं ABC News के विश्लेषण में।
इन हालात में युद्ध विराम की राह और भी लंबी और मुश्किल दिखती है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समर्थन और कूटनीतिक दबाव उम्मीद की किरण भी देता है।
आर्थिक और ऊर्जा परिणाम
रूसी मिसाइल और ड्रोन हमले का असर सिर्फ जान-माल तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसकी गूंज आर्थिक मोर्चे, ऊर्जा नेटवर्क और अंतरराष्ट्रीय संपत्तियों में भी सुनाई दी। इस खंड में हम जानेंगे पिछले हमले की वजह से EU और ब्रिटिश मिशन पर कितना आर्थिक नुकसान हुआ, रूसी ऊर्जा प्रणाली को कैसे चुनौती मिली, और EU अपने प्रतिबंधों के जरिए युद्ध के पैमाने को किस तरह बदल रहा है।
EU और ब्रिटिश मिशन पर आर्थिक क्षति: दुर्घटना से EU मिशन और ब्रिटिश काउंसिल को हुए नुकसान का अनुमान और प्रभाव
कीव के दिल में हुआ ताज़ा हमला आर्थिक नुकसान के आँकड़ों में दर्ज हो गया है। मिसाइलों के सीधा निशाना बनने से EU मिशन की इमारत का एक बड़ा हिस्सा चकनाचूर हुआ, ऑफिस फ़र्नीचर, कंप्यूटर, डॉक्यूमेंट्स और स्टाफ रूम्स बुरी तरह जल गए। इसी तरह, ब्रिटिश काउंसिल का ऑफिस भी ताश के पत्तों की तरह ढह गया, जिससे सांस्कृतिक कार्यक्रम, शैक्षिक परियोजनाएं और भाषा ट्रेनिंग बंद पड़ी हैं।
- इन ऑफिसों की मरम्मत और दोबारा निर्माण में करोड़ों यूरो का खर्च आ सकता है।
- दोनों संस्थानों को अस्थायी ठिकानों से काम करने की मजबूरी चुननी पड़ी।
- EU और ब्रिटेन को कीव के इन मिशनों में फिर से भरोसा जगाना अब आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण साबित होगा।
ब्रिटिश काउंसिल की गतिविधियाँ और EU मिशन की मौजूदगी वहाँ की संस्कृति और कूटनीति का बड़ा आधार थीं। अब ये नुकसान यूक्रेन में अंतरराष्ट्रीय समर्थन की आवाज़ को असरदार तरीके से कमजोर भी कर सकते हैं।
रूसी तेल शोधन कारखानों पर यूक्रेन के हमले: यूक्रेन के ड्रोनों से रूसी तेल शोधन कारखानों को हुए नुकसान और ऊर्जा आपूर्ति पर प्रभाव
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रूस के गहरे भीतर यूक्रेनी ड्रोन हमला अब आम हो चला है। अगस्त के अंतिम हफ्ते में अफिप्स्की और कुइबिशेवस्की जैसे बड़े तेल शोधन कारखानों को लक्ष्य बनाया गया। रिपोर्ट के अनुसार, केवल पिछले कुछ हमलों में ही रूस की रीफाइनरी क्षमता का लगभग 17% हिस्सा प्रभावित हुआ है।
कुछ प्रमुख असर:
- 10 रिफाइनरियों पर हमले से प्रतिदिन 11 लाख बैरल उत्पादन ठप हो गया।
- ऊर्जा आपूर्ति बाधित होने से रूसी आंतरिक बाजार में फ्यूल की कमी साफ दिखने लगी है।
- आग और धमाकों ने कच्चे तेल के ट्रांसपोर्ट और एक्सपोर्ट को धीमा कर दिया है।
इन हमलों ने रूस को मजबूर किया है कि वह अपनी ऊर्जा आपूर्ति नीति दोबारा देखे। रूस के रणनीतिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को झटका लगते ही अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में भी हलचल बढ़ गई है। यूक्रेनी ड्रोन कार्रवाई का पूरा ब्यौरा Reuters की रिपोर्ट में पढ़ा जा सकता है।
फ्रोजन रूसी संपत्तियों का उपयोग और नई प्रतिबंध पैकेज: EU की 19वीं प्रतिबंध पैकेज, फ्रीज़्ड संपत्तियों को यूक्रेन में मदद के लिए उपयोग करने की योजना का उल्लेख
इन ताज़ा घटनाओं के बाद EU ने अपनी रणनीति और कड़ी कर दी है। सुनने में आया है कि यूरोपीय सरकारें 19वीं प्रतिबंध पैकेज पर ज़ोर-शोर से काम कर रही हैं, जिसमें पहले से फ्रीज हुई रूसी संपत्तियों का इस्तेमाल यूक्रेन की मदद के लिए किया जाएगा।
- यूरोप ने रूस के लगभग 300 अरब डॉलर के विदेशी संपत्ति रिजर्व को जाम कर रखा है, जो अब युद्ध राहत के लिए फंडिंग का बड़ा जरिया बन सकता है।
- 19वीं प्रतिबंध पैकेज का मकसद रूस को आर्थिक मोर्चे पर और ज़्यादा दबाव में डालना है।
- जर्मनी और फ्रांस जैसी ताकतवर अर्थव्यवस्थाएँ भी पूरी तरह से इस योजना के साथ हैं।
EU का नया रवैया साफ दर्शाता है कि अब सिर्फ समर्थन के बयानों से काम नहीं चलेगा, अब ठोस वित्तीय और कानूनी प्रहार भी ज़रूरी हैं। ताज़ा अपडेट के लिए आप Reuters की यह अहम रिपोर्ट पढ़ सकते हैं।
इन वित्तीय, ऊर्जा और कानूनी चालों ने रूस-यूक्रेन संघर्ष को एक नया आयाम दे दिया है, जहां मिसाइल और ड्रोन के साथ-साथ आर्थिक हथियार भी अनदेखा नहीं हो सकते।
निष्कर्ष
यह हमला सिर्फ आंकड़ों या इमारतों की बर्बादी का किस्सा नहीं है, यह मानवीय पीड़ा, समाज के जज्बे और अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक जटिलताओं का आईना है। रूसी मिसाइलों और ड्रोनों की बर्बरता के बावजूद, कीव के लोग टूटे नहीं, बल्कि और मज़बूती से खड़े हो गए। इसी जज़्बे ने दुनिया को दो हिस्सों में बांट दिया—कहीं समर्थन, कहीं चिंता, तो कहीं नई कूटनीति की लहर उठी।
शांति की राह मुश्किल है, लेकिन यूक्रेनियन साहस और वैश्विक एकजुटता उम्मीद बाँधती है। अब वक्त है कि दुनिया और देशों के नेता सिर्फ औपचारिक बयान नहीं, ठोस कदम उठाएँ, ताकि भविष्य में बच्चे स्कूलों में, परिवार घरों में, और संस्कृति खुले आसमान में सुरक्षित रह सके। आपकी सोच मायने रखती है—क्या अब दुनिया और देर तक मूक दर्शक बनी रहे?
पढ़ने के लिए धन्यवाद। अपने विचार और सुझाव साझा करें, क्योंकि हर आवाज़ बदलाव ला सकती है।
