अफगानिस्तान भूकम्प 2025: कुनार, नंगरहार, लघमैन में नुकसान, ताजा हालात और राहत अपडेट
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Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!अफगानिस्तान भूकम्प 2025: कुनार, नंगरहार और लघमैन में भारी तबाही (जानिए ताजा हालात, मानवीय क्षति और राहत की कोशिशें)
1 सितंबर 2025 की रात करीब 11:47 बजे, पूर्वी अफगानिस्तान में कुना्र, नंगरहार और लघमैन प्रांतों में जबरदस्त भूकम्प आया। रिक्टर स्केल पर 6.0 तीव्रता का यह झटका जमीन से सिर्फ़ 5 मील गहराई पर केंद्रित था, जिससे नुकसान कई गुना बढ़ गया। शुरुआती रिपोर्टों में 600 से ज़्यादा मौतें और 1300 से अधिक घायल बताए गए, लेकिन रिमोट इलाकों में राहत पहुंचने के बाद आंकड़े बढ़ सकते हैं।
कई गांवों में कच्चे मकान पूरी तरह ढह गए, जिससे स्थानीय परिवार बेघर हो गए हैं। इस इलाके में अकसर भूकम्प क्यों आते हैं—इसका कारण है यहां की भौगोलिक स्थिति, जहां भारतीय और यूरेशियन प्लेटें मिलती हैं। यही वजह है कि यहां बार-बार बड़े भूकम्प आते हैं और राहत कार्य बहुत मुश्किल हो जाता है। इस लेख का मकसद है आपको ताज़ा हालात, सरकारी व अंतरराष्ट्रीय राहत की कोशिशों, और क्षेत्र की संवेदनशीलता की साफ तस्वीर देना ताकि आप जान सकें कि अफगानिस्तान के ये इलाके आज किस मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं।
YouTube Video: Afghanistan Earthquake: 250+ Dead As 6.3 Magnitude Tremors Bury Houses, Death Toll Expected To Rise
भूकम्प का भौगोलिक और भौतिक विवरण
अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्से में 1 सितंबर 2025 की रात जो भूकम्प आया, उसने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया। यह इलाका पहले भी भूकम्प के खतरे के लिए कुख्यात रहा है लेकिन इस बार की घटना का समय, गहराई और असर सबकुछ अलग था। यह सेक्शन आपको बताएगा कि भूकम्प कहाँ-कहाँ महसूस किया गया, किस तीव्रता के साथ आया, किस गहराई पर केन्द्रित था और किन जिलों को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुँचा।
स्थान और तीव्रता: जालालाबाद से 27 किमी ईएनई, magnitude 6.0, गहराई 8 किमी। रात 23:47 बजे हुआ, कस्बे और राजधानी काबुल पर असर।
इस भूकम्प का केंद्र नंगरहार प्रांत की राजधानी जालालाबाद के उत्तर-पूर्व में मात्र 27 किलोमीटर की दूरी पर था। रात्रि के 23:47 बजे जब पूरा इलाका नींद में डूबा था, उस वक्त धरती कांप उठी।
- तीव्रता (Magnitude): 6.0 रिक्टर स्केल पर दर्ज की गई, जो इस क्षेत्र में बेहद बड़ा माना जाता है।
- गहराई (Depth): सिर्फ 8 किमी, जिसका मतलब है ज़मीन के बहुत पास, जिससे ज्यादातर ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में तीव्र झटके महसूस हुए।
- असर का विस्तार: झटके केवल कुनार, नंगरहार और लघमैन तक सीमित नहीं रहे, बल्कि काबुल और पाकिस्तानी शहरों तक महसूस किए गए। राजधानी काबुल तक कई ऊंची बिल्डिंग्स में लोग भागकर बाहर आ गए।
इससे जुड़े ताज़ा डिटेल्स आप VolcanoDiscovery की रिपोर्ट में देख सकते हैं, जिसमें अफगानिस्तान के नक्शे और भूकम्प की सटीक स्थिति दी गई है।
प्रमुख प्रभावित प्रांत: कुनार, नंगरहार, लघमैन की स्थिति, प्रत्येक प्रांत में क्षति के स्तर का संक्षिप्त वर्णन।
मुख्य तौर पर तीन प्रांत—कुनार, नंगरहार और लघमैन—इस त्रासदी के केंद्र में रहे। हर जिले की स्थिति अलग है, लेकिन कुछ समान मामले भी सामने आए हैं:
- कुनार: इस पहाड़ी इलाके में कई छोटे गाँव और कस्बे पूरी तरह तबाह हो गए हैं। सबसे बड़ी क्षति नूर गुल, सोकी, वटपुर, मानोकी और चपरदारे जिलों में रही। मिट्टी और लकड़ी के बने घरों की वजह से कई परिवार बेघर हो गए। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, कुनार में सबसे ज्यादा मौतें और चोटें हुई हैं।
- नंगरहार: यहाँ की जनसंख्या घनी है और जालालाबाद जैसे शहर के आसपास के गाँवों में भी भारी नुकसान हुआ। जिन इलाकों में पक्के मकान थे, वहां भी दीवारें दरक गईं। ग्रामीण इलाकों के कच्चे मकानों में सैकड़ों परिवारों को राहत की जरूरत पड़ी।
- लघमैन: यहाँ भूकम्प की तीव्रता थोड़ी कम रही, फिर भी कई पुराने मकान धराशायी हो गए। गाँवों के बीच सड़क और पुल को नुकसान हुआ, जिससे मदद पहुँचाना कठिन हो गया।
ज्यादा जानकारी और ताजा आंकड़ों के लिए आप EarthquakeTrack की ताजा रिपोर्ट देख सकते हैं जिसमें काबुल और आसपास के प्रांतों के ताजातरीन आंकड़े दिए जा रहे हैं।
भौगोलिक चुनौतियाँ: पर्वतीय terrain, किचन‑बाँध घर, कीचड़ वाले रास्ते, पहुंच की कठिनाई, और भूकम्प के बाद लैंडस्लाइड की समस्या।
फर्क सिर्फ झटकों का नहीं है, यहाँ का भूगोल भी राहत कार्य को और जटिल बना देता है। अफगानिस्तान के ये प्रांत बड़े ही कठिन, पहाड़ी इलाकों में बसे हुए हैं, जहाँ बुनियादी सुविधाएं भी बहुत सीमित हैं।
- पर्वतीय इलाका: कुनार, नंगरहार और लघमैन में अधिकतर इलाके पहाड़ी हैं। इस वजह से गाँव-गाँव पहुँचने के लिए पक्की सड़कें बहुत कम हैं।
- मिट्टी व लकड़ी के घर: गाँवों के किचन‑बाँध (mud-brick) और लकड़ी के घर तेज झटकों में सबसे पहले गिरते हैं। इस बार भी ऐसे अधिकांश घर जमींदोज हो गए। कमजोर निर्माण की वजह से जनहानि ज्यादा हुई है।
- दुर्गम रास्ते और लैंडस्लाइड: बारिश और भूकम्प के तुरंत बाद मिट्टी के रास्ते कीचड़ में बदल गए। कई इलाकों में लैंडस्लाइड की वजह से सड़कें पूरी तरह बंद हो गईं। राहत टीमें फँसी रहीं या पैदल ही यात्रा करनी पड़ी।
- स्थानीय और राष्ट्रीय मदद: अधिकांश सहायता छोटे हेलिकॉप्टरों या पशुबल के सहारे पहुँचाई जा रही है, क्योंकि भारी मशीनें वहाँ तक नही पहुंच सकतीं।
इन प्रमुख भूगोलिक चुनौतियों के विषय में और जानने के लिए VolcanoDiscovery के भूकम्प रिपोर्ट सेक्शन में ताजा अपडेट मिलते रहेंगे।
इस तथ्य को याद रखें— यहाँ भूकम्प से सिर्फ बिल्डिंग नहीं गिरती, यहाँ की मिट्टी, रास्ते और पूरा रहन-सहन असुरक्षित हो जाता है। इसी वजह से अफगानिस्तान के हर भूकम्प के बाद हालात सामान्य करने में कई हफ्ते या महीने लग सकते हैं।
मानवीय क्षति और आँकड़े
पूर्वी अफगानिस्तान में इस भूकम्प ने इंसानियत को गहरे तक झकझोर दिया है। लोगों की जानें गईं, सैकड़ों घायल हुए और अस्पतालों पर जबरदस्त दबाव दिखा। इस सेक्शन में जानिए ताजा मौत, चोट और चिकित्सा हालात के सटीक आँकड़े, और समझें कि असल सच्चाई शायद इन दर्ज आँकड़ों से कहीं ज्यादा बड़ी है।
मौत और चोटें: तालीबान के अनुसार 610 मौतें, 1,300 से अधिक घायल। अलग‑अलग प्रांतों के आँकड़े, जैसे कुनार में 610 मौतें, नंगरहार में 12, आदि।
ताज़ा रिपोर्ट्स के आधार पर, तालीबान प्रशासन ने कुल मौतों की संख्या 610 बताई है और 1,300 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। सबसे भयानक तबाही कुनार प्रांत में हुई, जहाँ अकेले 610 मौतों की पुष्टि हुई। नंगरहार में 12 लोगों की जान गई, जबकि लघमैन में अभी तक स्पष्ट आँकड़े सामने नहीं आए।
यहाँ मौत और घायल के आंकड़ों को बेहतर समझने के लिए एक छोटा टेबल देखें:
| प्रांत | मौतें | घायल |
|---|---|---|
| कुनार | 610 | 1,200+ |
| नंगरहार | 12 | 255+ |
| लघमैन | आँकड़े उपलब्ध नहीं | — |
- कुनार में गाँव-गाँव से लाशें निकाली गईं। कई इलाकों में मलबा हटाने अभी भी जवान जुटे हैं।
- नंगरहार और आसपास के जिलों में भी सैकड़ों लोग घायल हैं।
- राहत कार्य में लगे अफसरों के मुताबिक, मौत का सही आंकड़ा इस इलाके की दुर्गमता के कारण बढ़ सकता है।
तालीबान प्रशासन की स्थिति और ताजातरीन अपडेट्स के लिए BBC News की लाइव रिपोर्ट पढ़ सकते हैं, जहाँ हर घंटे आंकड़े बदलते दिख रहे हैं।
अस्पतालों पर दबाव: असदाबाद के प्रांतीय अस्पताल में हर पाँच मिनट में एक नया मरीज, बिस्तर की कमी, रोगियों का जमीन पर लेटा रहना। नंगरहार में 250+ घायल का उपचार।
भूकम्प के बाद अस्पतालों का नजारा किसी मैदान जैसी हो गई। असदाबाद के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में हालत यह है कि हर पाँच मिनट में नया घायल पहुँच रहा है।
- डॉक्टर और नर्सें लगातार काम कर रही हैं, लेकिन बिस्तरों की संख्या बहुत कम है।
- हालात इतने खराब हैं कि दर्जनों मरीज जमीन पर पड़े मरीजों की कतारें बन गई हैं।
- कई को बाहर खुले बरामदों में रखा गया है, क्योंकि कमरे छोटे हैं और सभी बिस्तर भर चुके हैं।
नंगरहार प्रांत में भी कुछ ऐसे ही हालात हैं। यहाँ लगभग 250 घायलों का इलाज एक साथ हो रहा है। मेडिकल सप्लाई कम पड़ रही है, और कई स्थानीय लोग अपना खून दान कर रहे हैं ताकि बड़ी सर्जरी या जरूरतमंदों की तुरंत मदद हो सके।
इन हालातों पर और विस्तार से देखें The Times की विस्तृत रिपोर्ट जिसमें अस्पतालों की आपात व्यवस्था और स्थानीय प्रतिक्रिया को इनकी आंखों से दिखाया गया है।
आँकड़ों की अनिश्चितता: दूरस्थ गाँवों में मोबाइल नेटवर्क न होना, रास्तों का ब्लॉक होना, और कैसे ये कारण आधिकारिक आँकड़े बदल सकते हैं।
सरकारी और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां लगातार आँकड़े अपडेट कर रही हैं, लेकिन इन आँकड़ों की असलियत पर सवाल रह गए हैं। कई गांव ऐसे हैं जहां अभी तक मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुँचा, जिससे राहत टीमें इलाके के हालात पता नहीं कर पा रहीं।
- भूस्खलन और टूटी सड़कों के कारण कई इलाके पूरी तरह कट चुके हैं।
- गाँवों के स्थानीय नेताओं तक भी सही जानकारी पहुँचना मुश्किल हो गया है।
- कुछ जिलों में तीसरे दिन तक भी घर-घर हालात का जायजा नहीं हो पाया।
इस वजह से मौत और घायल के आधिकारिक आंकड़े हर घंटे बदल सकते हैं, और माना जा रहा है कि इधर-उधर से आने वाली खबरें आने वाले दिनों में स्थिति अधिक भयावह दिखा सकती हैं।
रियल टाइम अपडेट्स और क्षेत्र के हालात को लेकर ताजा जानकारी के लिए Reuters की फील्ड रिपोर्ट महत्वपूर्ण है, जहाँ आपको ग्राउंड रियलिटी का बेहतर ब्योरा मिलेगा।
राहत और बचाव कार्य
भूकम्प के बाद राहत और बचाव का काम रेस्क्यू मिशन से लेकर हेली एवैक्युएशन और इंटरनैशनल सपोर्ट तक फैला है। कठिन पहाड़ी इलाकों की वजह से हर टीम को लड़ाई जीतनी पड़ रही है—कभी मलबे से घायलों को निकालना, तो कभी हेलीकॉप्टर से दूरदराज के इलाकों में मदद भेजना। आइए जानते हैं, किस तरह राहत टीमें काम कर रही हैं और कौन-कौन सी चुनौतियाँ सामने आ रही हैं।
पहुँच की कठिनाई: लैंडस्लाइड‑बंद सड़कें, हवाई पहुँच की आवश्यकता, गांवों तक पैदल या हेलीकॉप्टर से पहुंच
भूकम्प के झटकों के बाद बनी परिस्थितियों में राहत कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण हैं। उबड़-खाबड़ पहाड़ी सड़कें और जगह-जगह लैंडस्लाइड ने रास्तों को बंद कर दिया है।
- अधिकतर गांवों का संपर्क कट गया है।
- कई रास्तों पर मलबे के ढेर जमा हैं, जिन्हें हटाने में घंटे-घंटे लग जाते हैं।
- राहत टीमें कुछ जगहों पर पैदल ही कंधों पर दवाएं, मेडिकल किट और टैंट लेकर पहुंचीं।
ऐसे हालात में हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल ही सबसे बड़ी डोर बन गई है। दूरदराज के पहाड़ी गांवों तक पीड़ितों और घायलों को पहुँचाने, और खाने-पीने की वस्तुएँ गिराने के लिए हवाई सहायता ली जा रही है।
सिर्फ एक मिसाल के तौर पर, जालालाबाद और आसपास के दुर्गम गांवों में हेलीकॉप्टरों से राहत सामग्री गिराई गई, और गम्भीर मरीजों को वहां से एयरलिफ्ट किया गया।
Reuters की रिपोर्ट के मुताबिक, कई जगह राहतकर्मी मलबा हटाने के लिए खुद फावड़ा लेकर काम में जुटे हैं।
हेलीकॉप्टर द्वारा एहतियात: चिकित्सा हेलीकॉप्टर, घायल को नंगरहार हवाई अड्डे तक ले जाना, फिर एम्बुलेंस से अस्पताल

Photo by Tom Barlind
सबसे गंभीर घायल, जिनकी जान एक-एक मिनट पर टिकी थी, उन्हें रेस्क्यू हेलीकॉप्टर द्वारा एयरलिफ्ट किया गया।
- हेलीकॉप्टरों ने सबसे पहले उन इलाकों से घायलों को उठाया जहाँ जमीन से एम्बुलेंस पहुँचना नामुमकिन था।
- मरीजों को नंगरहार एयरपोर्ट पर उतारा गया।
- वहाँ से तुरंत स्थानीय एम्बुलेंस अस्पतालों तक पहुंचीं, ताकि इलाज शुरू हो सके।
अस्पतालों में एक साथ कई मरीज पहुँचे, इसलिए डॉक्टर और नर्सों की टीम पहले से इंतजाम में जुटी थी। कुछ खबरों के अनुसार, BBC की लाइव अपडेट में बताया गया कि कई हेलीकॉप्टर लगातार उड़ान भरते रहे और हर उड़ान के साथ 6–8 घायल निकलते रहे।
राहत कार्यों की तस्वीर देखने के लिए CrossroadsToday के ग्राउंड रिपोर्ट में भी हेलीकॉप्टर द्वारा निकाले गए मरीज दिखाए गए हैं।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया: तालिबान सरकार का आपातकाल घोषणा, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से मदद की मांग, वर्तमान में मिली सहायता की स्थिति
भूकम्प के तुरंत बाद तालिबान सरकार ने आपातकाल की घोषणा कर दी। राष्ट्रीय स्तर पर:
- सभी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं, सैन्य बल और सिविल डिफेंस को अच्छानक राहत और बचाव कार्य के लिए तैनात कर दिया गया।
- फर्स्ट एड, टेंट, रोटियां और पानी के पैकेट गांव-गांव भेजे गए।
- सेना के जवान मलबा हटाने और लोगों को सुरक्षित जगह पहुँचाने में जुटे हैं।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी इन कठिन हालात में बड़ा सहारा बना। संयुक्त राष्ट्र, रेड क्रिसेंट, और अफ़ग़ान रेड क्रॉस जैसी संस्थाओं ने फौरन टीमों को एक्टिव किया।
- हेलीकॉप्टर, मेडिकल सप्लाई, टेंट, और इमरजेंसी किट्स पूरे क्षेत्र में बाँटे जा रहे हैं।
- Al Jazeera रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि सभी उपलब्ध संसाधन भेज दिए गए हैं—मेडिकल सप्लाई, फूड पैकेज और साफ पानी की बोतलें सबसे ज़रूरी बनी हैं।
- अभी भी कई रिमोट इलाके ऐसे हैं, जहाँ पहुँचने में 24–48 घंटे लग सकते हैं, लेकिन सरकारी और अंतरराष्ट्रीय दोनों टीमें लगातार जमीनी हालात सुधारने में जुटी हैं।
सहायता पहुंचाने की यह लड़ाई रुकने वाली नहीं है, क्योंकि हकीकत में अब भी कई गाँव पूरी तरह कटे हुए हैं और उन्हें हर दिन ताजा मदद की ज़रूरत रहेगी।
पिछले आपदाओं के साथ तुलना और भविष्य की तैयारी
अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांतों में हाल के भूकम्प और बाढ़ की घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि ये इलाके प्रकृति की तेज़ आँख मिचौली में कितने असुरक्षित हैं। पिछले वर्षों के आपदाओं से मिली सीखें और अभी के हालात दोनों मिलकर यह बताते हैं कि राहत कार्यों की रणनीति अब और भी संगठित, सतर्क और दीर्घकालीन होनी चाहिए।
पिछले भूकम्पों की सीख: 2022 पक्तिका, 2023 हरात में 1,000+ मौतें, पहुंच में देरी, आँकड़े बढ़ना
अफगानिस्तान में भूकम्प कोई नयी बात नहीं है, लेकिन भारी तबाही हर बार एक जैसे कारणों से हो रही है। 2022 में पक्तिका और 2023 में हरात में आए भूकम्पों ने 1,000 से ज़्यादा लोगों की जानें ले ली थीं।
- सबसे बड़ा सबक था रेस्क्यू टीमों तक राहत सामग्री और सहायता पहुंचाने में देरी। पैदल रास्तों और खराब सड़कों की वजह से समय पर मदद नहीं पहुँची और इस कारण मौतें बढ़ गईं।
- आँकड़ों में भी शुरुआत में भारी अनिश्चितता रही। दूरस्थ गाँवों से सटीक जानकारी देर से मिल सकी। इसी कारण प्रारंभिक रिपोर्ट्स में आंकड़े कम या अधूरे दिखे।
- स्थानीय निर्माण की कमजोरई और कच्चे मकान भूकम्प के दौरान सबसे ज्यादा टूटे, जिससे मौतें तेजी से बढ़ीं।
- आपदा के बाद संचार नेटवर्क का बाधित होना राहत कार्यों के लिए बड़ी चुनौती रही।
इन अनुभवों ने साबित किया कि केवल राहत पहुंचाना काफी नहीं, बल्कि बचाव को त्वरित, संरचित, और बेहतर सूचना नेटवर्क से जोड़ना ज़रूरी है।
हालिया बाढ़ का प्रभाव: बाढ़ से 5 मौतें, 400 परिवार प्रभावित, बाढ़‑लैंडस्लाइड ने रास्ते और बुनियादी ढांचा कमजोर किया
भूकम्प से पहले अगस्त 2025 में भी तटीय और पहाड़ी हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ आई। इसने पहले से कमजोर ज़मीन पर गहरे निशान छोड़े।
- कम से कम 5 लोग बाढ़ में मरे और लगभग 400 परिवार प्रभावित हुए।
- बाढ़ के बाद कई इलाकों में लैंडस्लाइड (भूमि खिसकना) हुआ, जिसने पहाड़ी रास्तों को कुंद कर दिया।
- कई सड़कें और पुल इस घटना से टूटे, जिससे भूकम्प राहत की पहुंच और भी मुश्किल हो गई।
- बुनियादी ढांचे की मार इतनी भयानक रही कि प्रभावित क्षेत्रों में पानी की सप्लाई, सिचाई प्रणाली, और स्थानीय परिवहन प्रभावित हुए।
यह साफ संकेत है कि एक आपदा के बाद बाढ़ और भूस्खलन जैसी अस्थिरताओं से भी लड़ने का इंतज़ाम करना होगा।
भविष्य की तैयारी के उपाय: स्थायी निर्माण मानक, सिचाई प्रणाली, शुरुआती चेतावनी प्रणाली, दूरसंचार सुधार, और अंतर्राष्ट्रीय मदद की रणनीति
भविष्य के लिए अगर हम रोकथाम और तैयारी को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो इन प्राथमिकताओं पर जल्दी काम करना होगा:
- स्थायी निर्माण मानक लागू करना: कच्चे और कमजोर मकानों की जगह भूकम्प-प्रतिरोधी, मजबूत और टिकाऊ संरचनाएं बनाई जाएं।
- सिचाई और बाढ़ नियंत्रण प्रणाली में सुधार: बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए बेहतर नालियां, बांध और जल निकासी के इंतजाम ज़रूरी हैं, ताकि बार-बार बाढ़ से नुकसान न हो।
- शुरुआती चेतावनी प्रणाली स्थापित करें जो भूकम्प और बाढ़ की सूचना समय पर दे सके।
- दूरसंचार नेटवर्क को मजबूती देना ताकि दूरस्थ इलाकों में भी मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी लगातार बनी रहे, जिससे राहत कार्य त्वरित और बेहतर हो सके।
- अंतर्राष्ट्रीय मदद के लिए रणनीति बनाना जिसमें मदद की त्वरित स्वीकृति, संसाधनों का बेहतर प्रबंधन और स्थानीय राहत संगठनों के साथ समन्वय हो।
चलिए, ये उपाय अफगानिस्तान के पूर्वी क्षेत्रों को धीरे-धीरे उस जोखिम से बचाने की दिशा में काम करेंगे जो बार-बार मौत और तबाही की वजह बनता है।
अधिक जानकारी के लिए इस अफगान आपदा प्रतिक्रिया रणनीति दस्तावेज़ में विस्तृत प्लान भी देखें।

Photo by Get Lost Mike
निष्कर्ष
पूर्वी अफगानिस्तान में आए भूकम्प ने 600 से ज्यादा लोगों की जानें ले लीं और 1,500 से अधिक घायल हुए हैं। कुनार, नंगरहार और लघमैन के दूरदराज mountainous इलाकों में नुकसान बहुत गहरा है। खराब सड़कें, लैंडस्लाइड और कमजोर निर्माण ने राहत कार्य को बेहद मुश्किल बना दिया है।
तालिबान सरकार ने तत्काल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मदद मांगी है, और विभिन्न एजेंसियां राहत सामग्री, मेडिकल सप्लाई, और हवाई सहायता भेज रही हैं।
इस मानवीय संकट में हमें स्थानीय लोगों के साथ मजबूती से खड़ा होना होगा, और समय पर मदद पहुँचाने के लिए जागरूकता और सहयोग जरूरी है। जो बाधाएँ अभी बनी हैं, उनको दूर करने के लिए साथ काम करना ही बचाव और पुनर्निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने का रास्ता है।
आप भी इस सचेत और संवेदनशील स्थिति के बारे में दूसरों को बताएं, ताकि मदद जल्दी और सही तरीके से पहुंच सके।
