हिल्डा बासी का जॉलॉफ राइस पर्व: 2025 में नाइजीरियाई संस्कृति और गर्व की सबसे खास कहानी
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Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!हिल्डा बासी का जॉलॉफ राइस पर्व: नाइजीरियाई भोजन और गर्व का सबसे बड़ा जश्न (2025)
नाइजीरिया की राजधानी लागोस में हाल ही में एक दृश्य रचा गया, जिसने लोगों के दिलों में गर्व और उत्साह की लहर दौड़ा दी। हिल्डा बासी, सिर्फ 28 साल की सेलिब्रिटी शेफ, अफ्रीकी भोजन विरासत को दुनिया के सामने एक विशाल बयान में बदलने में जुटीं। उन्होंने 22,619 लीटर के खास बने बर्तन में 4,000 किलो चावल, 1,200 किलो टोमैटो पेस्ट और 600 किलो प्याज के साथ जॉलॉफ राइस बनाने का इतिहास रचने का प्रयास किया।
यह आयोजन महज़ एक रिकॉर्ड तोड़ने की कोशिश नहीं था, बल्कि नाइजीरियाई पहचान और सांस्कृतिक गर्व का सामूहिक उत्सव था। हजारों लोग, अलग-अलग पीढ़ियों और पृष्ठभूमियों से, रंग-बिरंगे परिधानों और संगीत के साथ, अफ्रीका की सबसे प्रख्यात डिश को अपने अंदाज़ में सलाम करने जुटे। जॉलॉफ राइस अब सिर्फ खाने का स्वाद नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पहचान बन चुका है, जो हर नाइजीरियाई के दिल से जुड़ा है।
हिल्डा का यह साहसिक कदम एक सशक्त संदेश है: नाइजीरियाई व्यंजन, परंपरा और सामूहिकता की खूबसूरती दुनिया तक पहुंचाने का। यही वजह है कि आज जॉलॉफ राइस के कड़े रंग और सुगंध, अफ्रीकी गौरव की नयी परिभाषा रच रहे हैं।
हिल्डा बासी: रिकॉर्ड्स और प्रेरणा
नाइजीरियाई शेफ हिल्डा बासी ने ऐसा रसोई का इतिहास रच दिया है, जिसे सुनकर युवा ही नहीं, हर आयु का इंसान भी उत्साहित हो उठता है। सिर्फ स्वादिष्ट खाना बनाने की चाह नहीं, बल्कि अपने देश के खान-पान और संस्कृति को दुनिया तक पहुँचाने के जूनून ने हिल्डा को खास बना दिया है। उनका सफर दिखाता है कि कैसे जुनून, मेहनत और सांस्कृतिक गर्व साथ आ जाए, तो कोई भी रसोई आम नहीं रहती, वो एक कारनामा बन जाती है।

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हिल्डा बासी का परिचय
हिल्डा बासी नाइजीरिया की यंग, डाइनमिक और जुनूनी शेफ हैं, जिन्होंने अपने अंदाज से घरेलू व्यंजन को ग्लोबल पहचान दिला दी। खाना बनाना उन्हें विरासत में मिला है, लेकिन उन्होंने अपने हुनर और उत्साह से इसे पहचान की ऊँचाइयों तक पहुंचाया। हर डिश में हिल्डा नाइजीरियन कल्चर और अपनी जड़ों का तड़का लगाती हैं, जो लाखों लोगों को जोड़ता है।
सबसे लंबा कुकिंग मैराथन – 93 घंटे 11 मिनट का रिकॉर्ड
2023 में, हिल्डा बासी ने सिर्फ अपने देश के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए किचन में इतिहास रचा। उन्होंने सबसे लंबे कुकिंग मैराथन का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया, जिसमें 93 घंटे 11 मिनट लगातार खाना बनाना शामिल था। इस रिकॉर्ड ने उन्हें इंटरनेशनल स्तर पर पहचान दिलाई। Guinness World Records के मुताबिक, हिल्डा ने सौ से ज्यादा डिशेज़ बनाईं, एक नई ऊर्जा और उम्मीद के साथ।
यह रिकॉर्ड सिर्फ उनकी शारीरिक ताकत नहीं, बल्कि मानसिक धैर्य और मज़बूत इरादों का भी सबूत था। इतने लंबे समय तक लगातार खड़े रहकर खाना बनाना, गर्मी और थकान के बावजूद मुस्कुराते रहना, यह दिखाता है कि हिल्डा सिर्फ शेफ नहीं, बल्कि प्रेरणा हैं।
सबसे बड़े जॉलॉफ राइस पॉट का साहसिक प्रयास
2025 में हिल्डा बासी ने Lagos के Eko Hotels and Suites में 22,619 लीटर के विशाल बर्तन में 4,000 किलो चावल का जॉलॉफ राइस बनाने का प्रदर्शन किया। इस विशाल आयोजन में सिर्फ रिकॉर्ड तोड़ना नहीं था, बल्कि यह दिखाना था कि नाइजीरियन जॉलॉफ राइस अफ्रीकी आत्मा का हिस्सा है। इस कार्यक्रम में लगभग 20,000 लोग जुटे, और पूरे शहर में उत्सव का माहौल था। इन सबमें हिल्डा की सबसे बड़ी खासियत थी – अपने कार्य के लिए जुनून। BBC की विस्तार से रिपोर्ट के अनुसार, यह आयोजन तैयारियों से लेकर आयोजन स्थल तक सबकुछ खास था, और अंत में हजारों लोगों को मुफ्त में खाना परोसा गया।

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क्यों लिया इतना बड़ा कदम?
हिल्डा बासी का उद्देश्य सिर्फ रिकार्ड या सुर्खियाँ बटोरना नहीं था, बल्कि नाइजीरिया के जॉलॉफ राइस को विश्व मंच पर सम्मान दिलाना था। उनका मानना है कि खाना, भाषा और संस्कृति – ये ऊपर से सरल दिखते हैं, लेकिन एक देश के गर्व की असली पहचान इन्हीं में छुपी होती है। जब लोग एक साथ खाना खाते हैं, तो वे अपने दिल जोड़ते हैं और परंपराएँ नई पीढ़ी तक पहुंचती हैं।
अफ्रीकी युवाओं के लिए प्रेरणा
हिल्डा के कारनामे आज की पीढ़ी को यही संदेश देते हैं:
- संभावनाओं की कोई सीमा नहीं – सपने बड़े हों तो उन्हें हासिल करने के लिए मेहनत करनी ही पड़ती है।
- सांस्कृतिक गर्व ज़रूरी है – अपनी जड़ों और पहचान को गर्व से अपनाओ।
- समुदाय की ताकत – हिल्डा का सफर दिखाता है कि जब एक पूरा समाज साथ हो, तो असंभव भी मुमकिन हो जाता है।
उनकी मुस्कान, उनका आत्मविश्वास और रसोई में उनकी फुर्ती युवा अफ्रीकी लड़कियों के लिए उम्मीद की किरण है। आज के इंटरनेट और सोशल मीडिया युग में भी, हिल्डा की सादगी और जुनून सबको अपनी ओर खींचती है।
“एक अच्छी रेसिपी सिर्फ स्वाद नहीं देती, बल्कि सपनों को हकीकत में बदल देती है।”
आखिरकार, हिल्डा बासी ने दिखा दिया है कि एक रसोई, एक डिश और एक जुनून कैसे देश, संस्कृति और दिलों को जोड़ सकते हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी जॉलॉफ राइस: योजना और चुनौतियाँ
दुनिया की सबसे बड़ी जॉलॉफ राइस बनाने की तैयारी एक आम रसोई की कहानी नहीं, बल्कि सौंपे गए सपनों की एक लंबी यात्रा थी। एक बरस की मेहनत, 300 लोगों की टीम, और हर कदम पर लोगों का जुनून – इस आयोजन में सब कुछ विशाल और यादगार था। लगोस की भीड़-भाड़ वाली गलियों में जब यह खबर फैली कि 22,619 लीटर की क्षमता वाला छह मीटर लंबा बर्तन तैयार हो रहा है, शहर की धड़कनें भी जैसे तेज़ हो गईं।
साल भर की इंजीनियरिंग और तैयारी

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इस आयोजन की शुरुआत एक छोटे आइडिया से नहीं, बल्कि बेहद गहरी सोच और वैज्ञानिक तैयारी से हुई। बर्तन तैयार करने में पूरे दो माह लगे। हर इंजीनियर, वेल्डर और शेफ ने मिलकर डिजाइन, मटीरियल और सुरक्षा के पहलुओं पर ध्यान दिया।
- बर्तन की लंबाई: लगभग छह मीटर
- कुल क्षमता: 22,619 लीटर
- सुरक्षा: बहुत सारे सेफ्टी वॉल्व, मजबूत हैंडल और नीचे की ओर मोटी स्टील की परत, ताकि इतनी भारी मात्रा में खाना बनाने पर भी कोई रिसाव या दुर्घटना न हो
शहर में पहले कभी किसी ने इतनी बड़ी बर्तन का निर्माण नहीं देखा था। सिर्फ आकार ही नहीं, उसका वजन और उसे बार-बार गर्म करना भी एक बड़ी चुनौती थी।
किचन में 300 लोगों की टीम और जज़्बा
इतनी मात्रा में जॉलॉफ राइस बनाना सिर्फ एक इंसान का काम नहीं। इसलिए हिल्डा ने लगभग 300 लोगों की विशेषज्ञ टीम तैयार की जिसमें शेफ, किचन असिस्टेंट, लॉजिस्टिक्स, सेफ्टी ऑफिसर और कई सपोर्ट स्टाफ जुड़े थे।
- तीन शिफ्ट में कुकिंग: हर आठ घंटे में नया क्रू बर्तन की जिम्मेदारी संभालता
- लॉजिस्टिक्स: माल ढुलान, कच्चा माल संभालना, और बर्तन में सामान डालना – सब कुछ चाक-चौबंद
- संपूर्ण तालमेल: छोटी से छोटी गड़बड़ी बड़े हादसे में बदल सकती थी, इसलिए हर शख्स चौकस रहता
इस टीम वर्क का नतीजा था कि हर काम समय पर, संतुलित और ऊर्जा के साथ हो सका।
सामग्री, मसाले और कच्चा माल
इतनी बड़ी जॉलॉफ राइस बनाने के लिए सामग्री का हिसाब भी किसी गणना से कम नहीं था। बर्तन में नीचे से ऊपर तक स्वाद, रंग और खुशबू भरने के लिए सैकड़ों किलो सामग्री चाहिए थी।
| सामग्री | मात्रा |
|---|---|
| बासमती चावल | 4,000 किलो |
| टमाटर पेस्ट | 500 कार्टन |
| प्याज | 600 किलो |
| मसाले | देसी और अफ्रीकी स्पेशल |
| अन्य (तेल, लहसुन, सब्जियां) | सैकड़ों किलो |
हर बोरी चावलों को पहले से साफ किया गया, प्याज और टमाटर का छिलका रात भर उतारा गया, और मसालों को ताजा पीसा गया। इसमें बाकी के लिए भी गहरा अनुशासन दिखा – विशाल मात्रा की खरीदारी और भंडारण।
अभी और जानना चाहें तो BBC की रिपोर्ट में पूरे आयोजन का अनूठा विवरण मिलता है।
मुश्किलें और रोमांच: गिरा विशाल बर्तन, चावल की मात्रा घटानी पड़ी
कोई भी बड़ा सपना बिना परेशानी के पूरा नहीं होता। एक मौके पर, जब विशाल बर्तन को शिफ्ट किया जा रहा था, उसका संतुलन बिगड़ा और वह लगभग गिर ही गया। इस क्षण, पूरी टीम की साँसें जैसे थम गईं। उन्होंने फौरन टीम वर्क के साथ स्थिति को संभाला – बर्तन खरोंच खाने से बच गया।
ये भी हुआ कि वजन की सीमा के कारण शुरू में सोचा गया चावल डालना संभव नहीं हुआ। सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि 4,000 किलो से ज्यादा चावल डालना बर्तन के लिए बहुत भारी पड़ सकता है। टीम ने तत्काल योजना बदली, जरूरत के हिसाब से चावल की मात्रा घटाई और बाकी सामग्री का अनुपात भी बदला।
हर स्टेप पर टीम को नई चुनौती मिलती, लेकिन इंसानियत, अनुशासन, टीम वर्क और जुनून इसे जीतता गया। लोग थके हुए भी थे, लेकिन उनकी आंखों में चमक थी।
स्वाद की रंगीन परतें और खुशी का जश्न
लाइव किचन के चारों ओर उत्सव का माहौल था। स्ट्रीट पर रंग-बिरंगे परिधान, तालियों की गूंज, और बर्तन से उठती शानदार खुशबू, ये सब किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था।

Photo by Keesha’s Kitchen
तैयार भोजन को हजारों लोगों में बांटा गया। जिस हाथ से मेहनत लगी, उसी दिल से सबने वह स्वाद भी महसूस किया। यह आयोजन सिर्फ खाना पकाने की तकनीकी जीत नहीं, एक मानवीय, भावनात्मक और सांस्कृतिक संगम बन गया।
हर दाने में मेहनत, हर चम्मच में कहानी, और हर मुस्कान में जीत का रंग।
और यही थी दुनिया की सबसे बड़ी जॉलॉफ राइस की असली आत्मा – स्वप्न, योजना, संघर्ष और साथ में जीती गई जीत।
भूख और पर्व: जॉलॉफ राइस फेस्टिवल
लागोस के Eko Hotels and Suites में जब जॉलॉफ राइस फेस्टिवल शुरू हुआ, तो शहर की हलचल में एक अनूठी ऊर्जा घुल गई। हर तरफ उत्साह सुगंध की तरह फ़ैल गया। यहां सिर्फ खाना नहीं बन रहा था, बल्कि एक सांस्कृतिक महोत्सव जन्म ले रहा था जहाँ हर कोई ‘दुनिया के सबसे बड़े जॉलॉफ राइस’ का हिस्सा बनने आया था। करीब 20,000 उत्साही लोग, दस्तकारों की टोली, नामचीन हस्तियाँ और फूड वेंडर्स – सबने मिलकर इस आयोजन को यादगार बना दिया।

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उत्सव की शुरुआत: महक और मिलन
जैसे ही विशाल बर्तन में जॉलॉफ राइस पकने लगा, पूरे परिसर में अद्भुत खुशबू तैर गई। हर कोई नज़दीक आकर देखना चाहता था कि इतने बड़े बर्तन में आखिर क्या हो रहा है। आयोजन स्थल को रंग-बिरंगी झंडियों, फैब्रिक और चमचमाते लाइट्स से सजाया गया था। पारंपरिक अफ्रीकी ड्रम्स की ताल पर बच्चों की मुस्कान, और लोगों की तालियों की गूंज – सब मिलकर माहौल को जादुई बना रहे थे।
विशेष स्टेज पर स्थानीय कलाकारों ने डांस और गीतों से सभी का मन मोह लिया। उत्सव की भीड़ में कई नामचीन चेहरे, सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर, शेफ्स और पत्रकार भी मौजूद थे। लोगों को खुला निमंत्रण था – “अपने कंटेनर साथ लाओ, यहाँ सभी के लिए जॉलॉफ राइस है!”
बड़े बर्तनों की सौगंध: लकड़ी के स्पैचुला और सामूहिक ऊर्जा
कार्यक्रम की पहचान बन गया था – छह मीटर ऊँचे स्टील के बर्तन और उसमें हिलने वाले विशाल लकड़ी के स्पैचुला। उस विशाल बर्तन के चारों ओर खड़े शेफ और सहायकों की टीम, किस्मत की तरह जॉलॉफ राइस को हर बार ध्यान से मिलाती। स्पैचुला की हर हलचल पर भीड़ में उमंग की लहर दौड़ जाती।
- सैकड़ों वॉलंटियर्स: सावधानी, अनुशासन और हिम्मत से बर्तन को हर वक्त नियंत्रित करते।
- फूड वेंडर्स: जॉलॉफ राइस के साथ-साथ पारंपरिक सलाद, ग्रिल्ड चिकन, और अफ्रीकी ड्रिंक्स पेश करते।
- खुशबू: मसालों की ताजगी और टमाटर के रस ने भूख को और तेज़ बना दिया।
हर चम्मच जॉलॉफ राइस में पूरे लागोस का स्वाद उतर आया, मानो वह सिर्फ भोजन नहीं, यादों और गर्व की कहानी बन गया।
लोगों का समावेश: अपना कंटेनर, अपनी खुशी

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फेस्टिवल सचमुच आमजन का था। आयोजकों ने खुला ऐलान कर दिया था – जो भी आए, अपना डिब्बा साथ लाए, भूखे न लौटे। बच्चे, युवाओं के ग्रुप, बुज़ुर्ग महिलाएँ – सभी ने बड़े गर्व से लाइन में लगकर अपने हिस्से का जॉलॉफ राइस लिया।
कुछ ही घंटों में ये पूरा आयोजन ला–गो–स के हर कोने तक चर्चा का विषय बन गया। सोशल मीडिया पर #JollofFestival, #HildaBaci जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे और जश्न का रंग करोड़ों मोबाइल स्क्रीन तक पहुँच गया।
जगह-जगह लोग कहते दिखे –
“ये सिर्फ फूड रिकॉर्ड नहीं, हमारी पहचान का उत्सव है।”
सांस्कृतिक पर्व: भोजन से संपन्नता और गर्व
यह आयोजन न सिर्फ नाइजीरियाई खाने का उत्सव था, बल्कि अफ्रीकी एकता का भी रंग था। खाना बनते-बनते ही वर्तमान पिढ़ी और पुरानी पीढ़ी के अनुभव एक प्लेट में मिल गए।
यहाँ भोजन सिर्फ भूख मिटाने का साधन नहीं था, बल्कि अपनी पहचान, समाज और भविष्य के लिए गर्व का प्रतीक था।
यदि आप त्योहार के इस ज्वलंत दृश्य और इससे जुड़े अनुभवों को विस्तार से पढ़ना चाहें तो BBC की रिपोर्ट में सभी रंग देखने को मिलते हैं।
- विविध संगीत, नृत्य और स्वाद ने इस आयोजन को अफ्रीका के फूड कल्चर का झंडाबरदार बना दिया।
- आयोजन ने यह दिखाया कि जब खाना, संस्कृति और लोग साथ जुटें, तो भूख की जगह जश्न ले सकता है।
यह जॉलॉफ राइस फेस्टिवल नाइजीरिया की डाइनिंग टेबल से उठकर, पूरे अफ्रीका और दुनिया तक पहुंच गया।
जॉलॉफ राइस का सांस्कृतिक और राष्ट्रीय महत्व
नाइजीरिया में जॉलॉफ राइस सिर्फ एक स्वादिष्ट डिश नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने वाली सांस्कृतिक डोर है। हर नाइजीरियाई परिवार ने इसे खास मौकों पर पकाया है, इसी वजह से यह व्यंजन जन्मदिन, त्योहार और राष्ट्रीय जश्न का जरूरी हिस्सा बन गया है। संस्कृति, गर्व और एकता – जॉलॉफ राइस की ये तीन सबसे गहरी परतें हैं, जिनमें हर दाना एक कहानी कहता है।
नाइजीरियाई पहचान और सामूहिकता की धड़कन
जॉलॉफ राइस नाइजीरियाई पहचान का स्थायी प्रतीक है। हर परिवार के पास इस डिश की अपनी खास रेसिपी है, जिसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाया जाता है। बच्चों के स्कूल फंक्शन से लेकर पारिवारिक मिलन, और नाइजीरिया के स्वतंत्रता दिवस तक, जॉलॉफ राइस हमेशा टेबल पर पाया जाता है।
- यह व्यंजन लोगों को सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि अपनापन, साझेदारी, और स्नेह का अनुभव भी देता है।
- हर बड़े सामाजिक आयोजन में जॉलॉफ राइस की प्लेट लोगों को एक साथ बैठने, हँसने और गले लगाने का मौका बन जाती है।
‘जॉलॉफ वार्स’ और अफ्रीकी भाईचारे की मित्रतापूर्ण प्रतियोगिता
जॉलॉफ राइस को लेकर नाइजीरिया, घाना, और सेनेगल जैसे पश्चिम अफ्रीकी देशों के बीच एक दिलचस्प ‘जॉलॉफ वार’ चलता है। यह मुकाबला सिर्फ स्वाद का नहीं, बल्कि गर्व का भी है। कौन सा देश सबसे बेहतर जॉलॉफ बनाता है? सोशल मीडिया पर अक्सर मीम्स, रेसीपी वीडियोज़ और किचन चैलेंजेस की भरमार रहती है।

- यह प्रतियोगिता कभी बहस में बदल जाती है, तो कभी हँसी-मजाक में, लेकिन यही तो है अफ्रीकी भाईचारे का असली रंग।
- इस मित्रवत प्रतिस्पर्धा ने जॉलॉफ राइस को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लोकप्रिय बना दिया है।
गौरव, समर्थन और जॉलॉफ राइस का जादू
नाइजीरियाई समाज के लिए जॉलॉफ राइस एक ‘नेशनल आइकन’ जैसा है। यह डिश उन्हें अपनी जड़ों से जोड़ती है, और दुनिया के सामने उनका आत्मविश्वास बढ़ाती है। बड़ी बात यह है कि नाइजीरियाई सरकार, फेडरल एजेंसियाँ और अफ्रीकी मीडिया भी इस सांस्कृतिक धरोहर का खुले तौर पर समर्थन करते हैं।
बीबीसी की रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कैसे लोकोपकारी लोग, अधिकारी और संगठनों ने हिल्डा बासी के आयोजन को समर्थन देकर ‘एकता’ और ‘गर्व’ का संदेश दुनिया तक पहुँचाया।
युवा पीढ़ी के बीच जॉलॉफ राइस ने नए ड्रीम्स और उम्मीदों की छींट लगा दी है। यह डिश सिर्फ भूख मिटाने का साधन नहीं, बल्कि सपनों का स्वाद है।
भोजन में छुपा भावनात्मक अपनापन
खाना, खासकर जॉलॉफ राइस, नाइजीरियाई भावनाओं का ठिकाना है। इसमें माँ का प्यार, दोस्ती का रंग और समाज की परछाईं छुपी होती है। कोई त्योहार हो या मुश्किल वक्त – यह डिश हर दिल को सांत्वना देती है।
- जब परिवार एक साथ बैठकर जॉलॉफ राइस खाते हैं, तब खुशियाँ दोगुनी हो जाती हैं।
- यदि कोई विदेश में रहता है, तो जॉलॉफ राइस की खुशबू उसे घर की याद दिला देती है।
बेशक, जॉलॉफ राइस का हर चम्मच अफ्रीकी उम्मीद, जश्न और परंपरा की झलक दिखाता है। इसमें इतिहास की मिठास और भविष्य की चमक समाई है, और यही है इसकी अनमोल सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान।
निष्कर्ष
हिल्डा बासी की जिद, व्यवहारिक सोच और सांस्कृतिक संदेश नए युग में नाइजीरिया की आवाज बन गई है। जॉलॉफ राइस के उस विशाल बर्तन में सिर्फ चावल या मसाले नहीं थे, बल्कि पूरे अफ्रीका का आत्मगौरव और साथ जुड़ने की भावना भी थी। यह पर्व दिखाता है कि जब कोई व्यक्ति पूरे समाज के लिए सपने देखता है, उसका जुनून सारे देश का उत्सव बन जाता है।
हिल्डा का यह रेकॉर्ड प्रयास आने वाली पीढ़ियों और युवाओं में बिना झिझक अपने आप को आगे बढ़ाने और अपनी जड़ों को अपनाने की प्रेरणा देगा। नाइजीरिया की भूमि पर उपजा यह उत्सव आज पूरे अफ्रीका और दुनियाभर में पहचान और उम्मीद का प्रतीक है।
ऐसे आयोजनों की वजह से यह पूरी तरह साफ होता है कि खाना सिर्फ भूख का समाधान नहीं, बल्कि समुदाय और सांस्कृतिक पहचान का केन्द्र है। हिल्डा बासी और उनकी टीम को सलाम, जिनकी मेहनत और सकारात्मक ऊर्जा लंबे समय तक लोगों को प्रेरित करेगी।
आपने यह यात्रा पढ़ी, उसके लिए धन्यवाद। बताइए, आपके लिए जॉलॉफ राइस या कोई पारिवारिक डिश क्या मायने रखती है? अपना अनुभव जरूर साझा करें और इस गर्व के पल को आगे फैलाएं!
