राहुल गांधी का हमला: मोदी सरकार की विदेश नीति, चीन-पाक दोस्ती पर बड़ा सवाल 2025

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राहुल गांधी ने उठाए अमित शाह और मोदी सरकार पर गंभीर सवाल, बढ़ती चीन-पाक दोस्ती पर चिंता

भारत वर्तमान में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है, खासकर जब बात सुरक्षा और विदेश नीति की आती है। संसद के अंदर राहुल गांधी ने अमित शाह और केंद्र सरकार की विदेश नीति व आतंकवाद से निपटने की रणनीति पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने सरकार की कमज़ोरी और पाकिस्तान व चीन की बढ़ती军事 (सैन्य) दोस्ती को लेकर गंभीर सवाल उठाए।

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भारत की विदेश नीति पर गंभीर सवाल

राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार आतंकवाद के खिलाफ गंभीर नहीं है और वे वास्तविकता से दूर हैं। जबकि दुनिया के कई देश आतंकवाद पर चर्चा कर रहे हैं, अमेरिका पिछले आतंकवादी नेता के साथ बातचीत कर रहा है। इसके विपरीत, भारत आरोप लगाता रहता है, पर साथ ही अपनी विदेश नीति में स्पष्टता और ठोस रूपरेखा नहीं दिखा पाता।

उन्होंने बताया कि वर्तमान सरकार आतंकवाद को युद्ध की तरह मानती है। जिसका मतलब यह हुआ कि अगर आतंकवादी भारत में हमला करते हैं तो भारत पर युद्ध थोप दिया जाएगा। यह नीति न्यूनतम निरोधक (Deterrence) भाव को उलटकर रख देती है। आतंकवादी करने वाला जानता है कि भारत तुरंत जवाबी कार्रवाई करेगा, जिससे स्थिति बिगड़ सकती है।

चीन और पाकिस्तान: एक मुट्ठी में

राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि भारत की सबसे बड़ी विदेश नीति चुनौती रही है चीन और पाकिस्तान को अलग रखना। लेकिन वर्तमान सरकार की नीतियों के कारण यह दूरी खत्म हो चुकी है। चीन और पाकिस्तान अब एकजुट होकर भारत के सामने एक संयुक्त मोर्चा बना चुके हैं।

उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के साथ चीन ने मिलकर अपनी एयर फोर्स की रणनीतियां एवं सैन्य सूचना साझा करना शुरू कर दिया है। चीन द्वारा पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों में तकनीकी मदद दी जा रही है, जिसमें सैटेलाइट और हाइ-टेक जानकारी शामिल हैं। इसी वजह से भारत को हाल ही में अपने पांच विमान खोने पड़े।

सैन्य एकीकरण की वजह से खतरा

  • Sentiac नामक केंद्र, जिसे चीन ने पाकिस्तान में स्थापित किया, चीनी और पाकिस्तानी एयर फोर्स को जोड़ने का काम कर रहा है।
  • पाकिस्तान के अधिकारी चीनी सैन्य कमांड के साथ विशेष तालमेल रखते हैं।
  • इसका मतलब है कि अब युद्ध केवल दो देशों के बीच का नहीं रह गया है, बल्कि अनेक स्तरों पर कई मोर्चों पर छिड़ सकता है: साइबर, स्पेस, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक, समुद्री, और थल।

दो मोर्चे की अवधारणा खत्म हो चुकी है

राहुल गांधी ने यह भी कहा कि विदेश मंत्री के दो-फ्रंट युद्ध के बारे में कहे गए विचार गलत हैं। अब केवल “एक एकीकृत मोर्चा” है, जो कई क्षेत्रों में संघर्ष कर सकता है।

यह समझ ना पाना कि वर्तमान युद्ध की प्रकृति क्या है, सरकार की असमर्थता को दर्शाता है। युद्ध केवल जमीन या हवा पर नहीं, बल्कि साइबर और स्पेस में भी होगा।

सेना की आज़ादी और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से अपील की कि सेना को पूरी स्वतंत्रता दी जाए। बिना किसी रोक-टोक के, केवल देशहित में सेना को लड़ने दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का स्वयं का चेहरा बचाने के लिए सेना का उपयोग करना खतरनाक है। सेना को बिना किसी राजनीतिक दबाव के काम करना चाहिए। साथ ही उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के उदाहरण का ज़िक्र किया, जिन्होंने सेना को बिना हिचकिचाहट के पूरा समर्थन दिया था।

पड़ोसी देशों का रुख और भारत की स्थिति

राहुल गांधी ने बताया कि किसी भी पड़ोसी देश ने पाकिस्तान की निंदा नहीं की, बल्कि केवल आतंकवाद की। पर भारत की विदेश नीति में पाकिस्तान को निशाना बनाना मुख्य मुद्दा बन गया है।

विदेश मंत्री के कथन, “चीन बड़ी अर्थव्यवस्था है इसलिए लड़ाई से बचना चाहिए,” ने इस बात को और स्पष्ट किया कि भारत की विदेश नीति में डर नजर आता है। भारत अब एक नए प्रकार के खतरे, यानी चीन-पाक सैन्य समन्वय का सामना कर रहा है।

निष्कर्ष

राहुल गांधी का यह भाषण केंद्र सरकार की विदेश नीति, आतंकवाद और सुरक्षा रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े करता है। उनका कहना है कि भारत को चीन और पाकिस्तान के बढ़ते सैन्य गठबंधन का सामना करने के लिए एक मजबूत और स्पष्ट नीति बनानी होगी। साथ ही सेना को पूरी स्वतंत्रता और समर्थन देना होगा।

देश की सुरक्षा राजनीतिक इमेज से ऊपर होनी चाहिए। आतंकवाद और सीमा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सरकार को नीतिगत स्पष्टता, साहस और मजबूत संसाधन देने की जरूरत है। यही तभी भारत के सामने खड़े इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है।

इस भाषण से पता चलता है कि भारत की वर्तमान सुरक्षा स्थिति नाजुक है और उसे शक्ति के साथ-साथ सही सोच की जरूरत है।

आप भारत की विदेश नीति और सुरक्षा पर विस्तार से जानने के लिए इस वीडियो को देख सकते हैं।

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यह लेख भारत की वर्तमान सुरक्षा स्थिति, चीन-पाकिस्तान की बढ़ती दोस्ती और सरकार की विदेश नीति की चुनौतियों पर प्रकाश डालता है। इस विषय पर और जानकारी के लिए आप Rahul Gandhi Lok Sabha Speech

देख सकते हैं। इसके अलावा भारत में आतंकवाद और सुरक्षा मुद्दों पर केंद्रित खबरों के लिए Livemint का लेख भी मददगार रहेगा।

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