लोकसभा 130वां संशोधन विधेयक 2025: विपक्ष का बड़ा विरोध और संसद में हंगामा
Estimated reading time: 1 minutes
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!लोकसभा में उठी हलचल: 130वें संशोधन विधेयक पर विपक्ष ने किया जबरदस्त विरोध
भारत की संसद में हाल ही में एक गंभीर विवाद देखने को मिला जब गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान के 130वें संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किया। इस विधेयक को लेकर विपक्ष ने तीव्र प्रतिक्रिया दिखाई और सदन में राजनीति का मिर्च मसाला छा गया। विपक्ष के सांसदों ने विधेयक की प्रतियां फाड़कर गृह मंत्री की ओर फेंक दीं, जिससे सदन का माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया।
यह विवाद न सिर्फ विधेयक के संवैधानिक पक्ष पर था, बल्कि विपक्ष के लिए यह एक नैतिक राजनीति का सवाल भी बन गया। विपक्ष का आरोप था कि यह विधेयक गैर-एनडीए शासित राज्यों और मुख्यमंत्रियों को निशाना बनाने के उद्देश्य से लाया गया है। आइए जानते हैं इस घटना की पूरी कहानी और इसके पीछे की राजनीतिक पृष्ठभूमि।
विधेयक का परिचय और सदन में उठी आवाज़ें
गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में तीन विधेयक पेश किए, जिनमें से एक था भारत के संविधान का 130वां संशोधन विधेयक। इसके अलावा, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 तथा संघ राज्य क्षेत्र शासन अधिनियम 1963 में संशोधन से जुड़े विधेयक भी पेश किए गए।
संसद में विधेयक पेश करते समय विपक्ष के सांसदों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया। विरोधी नेताओं ने विधेयक की प्रतियां फाड़कर सरकार पर आरोप लगाया कि यह विधेयक संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन करता है।
संसद की मर्यादा पर उठे सवाल
सभा की मर्यादा बनाए रखने के लिए सदन के उच्च सदस्यों ने विरोध करने वाले सांसदों को सावधानी बरतने और व्यवस्थित व्यवहार करने का अनुरोध किया। मर्यादा खराब करने पर प्रबल आग्रह किया गया कि सांसद अपने आचरण पर ध्यान दें क्योंकि देश देशवासी सदन की कार्रवाई देख रहे हैं।
कई बार सदन की कार्यवाही को विवादों के कारण रोकना पड़ा, जबकि विधेयक के पक्ष में मतदान भी हुआ। विभिन्न आइटमों पर “हाँ” और “ना” का मतदान होता रहा, लेकिन विपक्ष की प्रतिक्रिया ने संसद में एक अनोखा नज़ारा पेश किया।
विपक्ष का विरोध – विधेयक फाड़ने तक पहुंचा
जब गृह मंत्री विधेयक को पेश कर रहे थे, तभी विपक्ष के कई सांसद विधेयक की प्रति फाड़कर उन्हें मंच की ओर फेंकने लगे। यह घटना सीधे तौर पर असंवैधानिक तरीके से विधेयक को खारिज करने की कोशिश थी। विपक्ष ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि वे मानते थे कि यह बिल केवल राजनीतिक टारगेटिंग के लिए है।
यह स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि सदन के कुछ सदस्यों को हस्तक्षेप करना पड़ा और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की गई। सरकार के सदस्य विपक्ष की इस हिंसक प्रतिक्रिया को रोकने में लगे रहे।
एक संयुक्त समिति के गठन का प्रस्ताव
विधेयकों पर व्यापक चर्चा और विरोध के बीच सरकार ने एक प्रस्ताव भी रखा, जिसके तहत भारत के संविधान संशोधन विधेयक, संघ राज्य क्षेत्र शासन अधिनियम 1963 के संशोधन और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के संशोधन से जुड़े विधेयकों की समीक्षा के लिए एक संयुक्त समिति बनाने का सुझाव दिया।
इस समिति में लोकसभा के 21 सदस्य और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल होंगे। समिति की बैठकें लोकसभा के नियमों के अनुसार होंगी और समिति को अगले सत्र के पहले दिन तक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
सरकार के इस प्रस्ताव को सदन ने हां में स्वीकार कर दिया, जबकि विपक्ष ने इसे अस्वीकार किया।
आगे की कार्रवाई और संसद का स्थगन
कई प्रश्नोत्तरी और मतदान के बाद सदन ने अपनी कार्यवाही को शाम 5 बजे तक स्थगित कर दिया। इस स्थगन का उद्देश्य सदन में शांति स्थापित करना और विधेयकों पर बेहतर चर्चा का मौका देना था।
सांसदों से आह्वान किया गया कि वे संसद की गरिमा बनाए रखे क्योंकि देश बाहर भी इस कार्रवाई को देख रहा है। नैतिकता और आचरण का सम्मान संसद की सबसे बड़ी ताकत होती है।
कांग्रेस सहित विपक्ष के आरोप
विपक्षीय दलों का कहना है कि यह विधेयक संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। वे इसे गैर-एनडीए शासित राज्यों के खिलाफ एक राजनीतिक हथियार मानते हैं।
यह विवाद केवल विधेयक तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कई तीखे शब्द और बयान भी देखने को मिले। विपक्ष में कांग्रेस सहित अन्य दलों ने इस बिल का जमकर विरोध किया।
संसद के अगले कदम पर नजर
इस घटना के बाद संसद के अगले सत्रों में इस विधेयक और उससे जुड़े मसलों पर गहराई से चर्चा हो सकती है। संयुक्त समिति की रिपोर्ट बनने के बाद संसद में विधेयक पर पुनर्विचार हो सकेगा।
साथ ही यह भी देखना होगा कि क्या विपक्ष इस बार भी इस विधेयक के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद रखता है या फिर सीधी बातचीत के माध्यम से कोई समझौता संभव होता है।
निष्कर्ष
लोकसभा में होने वाले इस विवाद ने एक बार फिर संसद की गरिमा और मर्यादा पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विरोध और बहस जरूरी है, लेकिन नियमों और मर्यादा के भीतर रहना भी उतना ही आवश्यक है।
गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किया गया 130वां संशोधन विधेयक और उससे जुड़े अन्य विधेयक राजनीतिक टकराव का विषय बने हुए हैं, और इन पर संसद में और गहन बहस होना तय है। इस प्रक्रिया में सभी दलों को संयम और समझदारी दिखानी होगी ताकि देश की राजनीतिक स्थिरता बनी रहे।
यह घटना भारतीय राजनीति में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच चल रहे टकराव की भी कहानी कहती है, जो लोकतंत्र का एक अहम हिस्सा है।
अधिक जानकारी के लिए और पूरी घटना का वीडियो देखें।
लोकसभा में उठे विवाद की रिपोर्ट पढ़ें
लोकसभा में हुए विरोध प्रदर्शन का वीडियो देखें
भारत के संविधान संशोधन विधेयक से जुड़ी रिपोर्ट
यह विवाद भारतीय संसद में लोकतांत्रिक बहस और प्रक्रिया के महत्व की याद दिलाता है। एक मजबूत लोकतंत्र में हर आवाज़ को मौका दिया जाना चाहिए, लेकिन मर्यादा से हटकर कार्रवाई सही नहीं होती। आने वाले समय में इस विधेयक की चर्चा से यह स्पष्ट होगा कि भारत की राजनीति किस दिशा में जा रही है।
